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________________ सीता को चुरा ले जाने वाले रावण को राम में भगवत्ता के दर्शन नहीं हुए, लेकिन नौका से लोगों को पार उतारने वाले केवट को प्रभु के दर्शन हो गए । अहिल्या का सौभाग्य था कि प्रभु चरणों की धूल मिली। अपने नारी रूप को उसने पूनः पा लिया। राम के प्रति उसके मन में प्यास थी। उसने वर्षों इंतजार किया था, राम के चरणों की धूल का। परमात्मा के आधार और प्रभुता के मूल्य स्वयं प्रभु में नहीं, प्रभु को देखने वाले की दृष्टि में है । इसीलिए मैंने कहा कि हमारा प्रांचल जितना विराट होगा, हमें सौगात उतनी ही अधिक मिलेगी। हम जीवन को जितना अधिक विराट बनाते जाएंगे, विचारों को विराट बनाते जाएंगे, अपने विचारों में सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की अवधारणा को जितना अधिक संजीवित करते जाएंगे, हम स्वयं उतने ही ज्यादा सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् होते चले जाएंगे। जीवन का निर्माण या जीवन का दर्शन मोटी बातों से नहीं होता, वह तो छोटे-छोटे कृत्यों से होता है। दूसरों के लिए धर्म और अध्यात्म का अर्थ चाहे कुछ भी हो, लेकिन मैंने बहुत से शास्त्रों को पढ़ने के बाद, जीवन को जीने के बाद यही उपसंहार निकाला है कि धर्म और अध्यात्म का सम्बन्ध व्यक्ति के छोटे-छोटे कृत्यों से है । जिन कृत्यों को प्रादमी नजरअंदाज कर देता है, मेरे लिए उन कृत्यों का महान मूल्य है। शायद आपके लिए ताश खेलने का कोई अर्थ न होगा, उठने बैठने का अर्थ न होगा। वास्तव में इन सबका बड़ा अर्थ है। हम अपनी चेतना को, अपने जीवन को जितनी संचेतना, जागरुकता के साथ जीते चले जाएंगे तो छोटे-छोटे कृत्य भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हो जाएंगे। ( १०७ ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003889
Book TitleSamay ki Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1995
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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