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कर्म, आखिर कैसे करें ?
ही है। उसका यह कृत्य अवश्य ही पापपूर्ण है, पर वह जो कुछ भी प्राप्त कर रहा है उसके पीछे उसका अदम्य साहस, उसकी बुद्धि, तत्परता, चतुराई आदि भी है जो सही दिशा में नियोजित होकर उसे एक अच्छा इन्सान भी बना सकती है।
इसी तरह यदि कोई अमीर व्यक्ति आज दुखी है तो उसका बीता हुआ कल अवश्य ही अप्रत्यक्ष कारण हो सकता है, पर वर्तमान कारण तोवह चिन्ता, अवसाद, तनाव, पारस्परिक मेल-जोल की भावना का अभाव है। इनके चलते वह सब सुखसुविधाओं के होते हुए भी दुखी बन गया। व्यक्ति स्वयं की स्थिति के लिए स्वयं ही उत्तरदायी है। यदि कोई बुरा व्यक्ति सुखी है तो उसके पास वह गुण जरूर होगा जिसके कारण वह सुखी है और यदि कोई अच्छा व्यक्ति भी दुखी है तो उसकी कमियाँ ही उसके दुख का कारण है। कर्मों का प्रभाव हाथोहाथ आता है।
हम उदाहरण लें किसी आतंकवादी का जो इतना खतरनाक है कि पुलिस भी उसके नाम से कांपती है। उग्रवाद आतंकवाद फैलाना ही उसका कार्य है। साधारण व्यक्ति सोचता है कि वह तो बहुत खुश होगा, क्योंकि उसके पास बीसियों कारें हैं, सब सुख-सुविधा के साधन हैं। हम फिर इतनी मेहनत क्यों करें? क्यों न अपहरण या दो-तीन कत्ल कर बहुत धन कमा लें.... पर ऐसा नहीं है। वह आतंककारी आजाद होकर भी आजादी का जीवन नहीं जी पाता। वह किसी से मिल नहीं सकता, उसे अपना चेहरा सब से छिपा कर रखना पड़ता है। उसके रहने का स्थान भी कोई गुप्त ही होता है। सोचो, क्या वह जेल के सींखचों से आजाद रहकर भी आजाद है ? उसका जीवन तो एक कैदी से भी बदतर है, क्योंकि भय तो सदा उसके साथ ही रहता है। यह है बुरे कर्मों का हाथो-हाथ परिणाम। ___ यदि कोई व्यक्ति हर हाल में मस्त और प्रसन्न रहता है तो उसने अपने सुखी बनने के बीज वपन कर दिए हैं। यदि तुम गाली बोलोगे तो बदले में गाली ही मिलेगी और गीत गाओगे तो गीत ही मिलेंगे। किसी कुएँ में झाँककर तुम जैसी
आवाज निकालोगे, वैसी ही आवाज तो लौटकर आएगी। हर क्रिया की प्रतिक्रिया है और हर ध्वनि की प्रतिध्वनि है। यदि तुम बड़े प्यार से किसी को सत्य कहते हो तो बदले में तुम्हारे पास भी सत्य आएगा। यदि तुम किसी को सत्यानाश कहते हो या सत्यानाश करते हो तो तुम्हें भी यह सृष्टि सत्यानाश ही लौटाएगी। यह तो प्रकृति का बड़ा सहज नियम है। इस हाथ जैसा दोगे, उस हाथ वैसा ही लौटेगा।
हम लें, एक छोटी-सी बड़ी प्यारी मनोवैज्ञानिक घटना। एक दिन एक माँ और बेटे में किसी बात को लेकर कलह हो गई। बात इतनी बढ़ गई कि वह छोटा
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