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________________ जागे सो महावीर श्री चन्द्रप्रभ कहते हैं जो जागृत हैं वे महावीर हैं, जो सोए हैं, वे कुंभकरण हैं | "जागे सो महावीर' प्रसिद्ध चिंतक राष्ट्रसंत श्री चन्द्रप्रभ द्वारा एक ऐसे महापुरुष पर दिए गए अमृत प्रवचन हैं, जिनकी अहिंसा ने मानव-मात्र को प्रेम और शांतिपूर्वक जीवन जीने का रास्ता दिखाया। महावीर की समग्र मानव-समाज के लिए क्या उपयोगिता हो सकती है, श्री चन्द्रप्रभ ने अपने इन प्रवचनों में उन्हें बड़े सहज और प्रभावी ढंग से पेश किया है। जीवन, जगत और अध्यात्म के गूढ़ रहस्यों को वे सटीक और सहज ढंग से लोगों के दिलों में उतार देते हैं। महान जीवन-द्रष्टा पूज्य श्री चन्द्रप्रभ देश के लोकप्रिय आध्यात्मिक गुरुओं में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं। 10 मई, 1962 को जन्मे श्री चन्द्रप्रभ ने 27 जनवरी, 1980 को संन्यास ग्रहण किया। वे विविध धर्मों के उपदेष्टा और महान चिंतक हैं / उनकी जीवन-दृष्टि ने लाखों युवाओं को एक नई सकारात्मक क्रांति दी है। उनके प्रभावी व्यक्तित्व, प्रवचन शैली और महान लेखन ने जनमानस को एक नया उत्साह, उद्देश्य और मंज़िल प्रदान की है। उनकी 200 से अधिक पुस्तकें और 500 से अधिक प्रवचनों की वीसीडी जन-जन में ईद का प्रेम, होली की समरसता और दीपावली की रोशनी बिखेर रही हैं। इनके द्वारा जोधपुर में स्थापित संबोधि-धाम बहुत लोकप्रिय है, जहाँ शिक्षा, सेवा और ध्यान-योग के जरिए मानवता के मंदिर में ज्योत से ज्योत जलाई जाती है। 50/ Jain Education International For Personal & Private Use Only w alnelibrar.org
SR No.003888
Book TitleJage So Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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