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सच्चरित्रता के मापदंड
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तो वही व्यक्ति है जिसे मुझे पाँच हजार रुपये चुकाने हैं। बेटे से बोला, 'बेटा कह दो पापा घर पर नहीं हैं।' बच्चा भागता हुआ बाहर आया और बोला, 'अंकल ! पापा ने कहलवाया है कि वे घर पर नहीं हैं । '
ज्ञान तो वही है जो जीवन के दर्पण में मुखरित हो । चाहे वह ज्ञान थोड़ा-सा ही क्यों न हो, वह सत्य छोटा ही क्यों न हो और अहिंसा का आचरण भले ही सम्पूर्ण न हो तो भी यदि हम उस थोड़े का ही पालन करते हैं तो निश्चित रूप से पार लग जाएँगे। व्यक्ति दूसरों के समक्ष संकल्प तो बड़े-बड़े ले लेता है, पर उनका क्या महत्त्व जिनका आधार ही दृढ़ न हो, जिसके पीछे ईमानदारी न हो। यदि तुम्हारे पास सोने का थाल नहीं है तो अपने पीतल के थाल को सोने का क्यों कहते हो? व्यक्ति की सत्यनिष्ठा या चारित्रनिष्ठा तो तब है जब वह स्पष्ट कहे कि मेरा थाल तो लोहे का है, पर मैंने उस पर सोने का पानी चढ़ा रखा है।
सच्चरित्र वह है जो अपनी भूलों को प्रत्यक्ष स्वीकार करता है । जो कहता है कि आप मुझे जिस योग्य समझते है, वैसा मैं नहीं हूँ। मैं इन बातों को सत्य के रूप में स्वीकार करता हूँ, इनका पालन करने का प्रयत्न भी करता हूँ, पर मेरा दुर्भाग्य है कि मैं इन तत्त्वों को जी नहीं पाता । वह अपने चित्त के भावों को समझकर यह स्वीकार करता है कि मुझमें अभी तक विकृत तरंगें उठती हैं। ऐसे व्यक्ति का अल्प ज्ञान भी सार्थक होता है और उसकी स्वयं के प्रति जागरूकता उसे एक दिन अवश्य ही मंजिल तक पहुँचाती है। ऐसा व्यक्ति पापी नहीं हो सकता क्योंकि वह अपने भीतर के कोढ़ को बाहर मखमली कोट से नहीं छिपाता है। दुश्चरित्रता ज्यादा दिन छिप नहीं सकती । एक दिन तो वह दुनिया के सामने प्रकट हो ही जाती है।
ध्यान रखें, चारित्र - सम्पन्न व्यक्ति का अल्पतम ज्ञान भी बहुत है । व्यक्ति अधिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। बहुत से लोग सुबह से शाम तक स्वाध्याय करते रहते हैं। उनकी स्थिति बिल्कुल किताबी कीड़े जैसी होती है। बहुत से शास्त्रों के अध्ययन से या उनको याद करने से तुम्हारा कोई कल्याण नहीं होगा जब तक कि उन पर मनन न किया जाए। व्यक्ति ने जो थोड़ा-सा भी पढ़ा है, उस पर मनन किया जाए। उसके आचरण का यह प्रयास हो कि उस ज्ञान से जीवन में परिवर्तन हो रहा है या नहीं। यदि ऐसे सद्प्रयास होते हैं तो व्यक्ति का पढ़ा हुआ मात्र एक शब्द भी उसे तार दिया करता है, जबकि शास्त्रों का लम्बा-चौड़ा अध्ययन मात्र गर्व की गर्मी बढ़ा देता है।
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