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आज विज्ञान ने अपनी शक्ति सोए हुए लोगों के हाथों में दे दी है। कल्पना करो कि अगर किसी बददिमाग राष्ट्रप्रमुख ने परमाणु हथियारों के उपयोग का आदेश दे दिया, तब क्या इस विश्व का अस्तित्व बचेगा? ऐसा नहीं है कि पहली दफा वैज्ञानिकों को अणुशक्ति का पता चला हो। महावीर भी अणुवादी थे और जैन-दर्शन दुनिया का सबसे प्राचीन अणुवादी दर्शन है। जैन पाँच हजार साल से कहते रहे हैं कि पदार्थ अणुओं का समूह है, पदार्थ अणुओं से बना है। अणु का सिद्धांत जैनियों का प्राचीनतम सिद्धांत है, ताकि मनुष्य आणविक शक्ति से सारी मानवता का विकास कर सके, सम्पूर्ण विश्व का विकास कर सके। ___अणु के भी अनेक परमाणु हैं और परमाणु के भी अनेक खण्ड हो सकते हैं, इसकी खोज महावीर ने की। चित्त भी इसी तरह है। मनुष्य के पास अनेक चित्त हैं। वह एक चित्तवान नहीं है। अनेक चित्तों के द्वारा वह अलगअलग कर्म संपादित करता है। अगर किसी के हाथ में प्रज्वलित मशाल दी जाए और उसके अंदर कल्याणकारी भावना हो तो वह सैकड़ों अन्य मशालें प्रज्वलित कर देगा और अगर विनाश की प्रवृत्ति जाग जाए तो आग लगाने के सिवाय कुछ नहीं करेगा। इसलिए शक्ति उसके हाथ में होनी चाहिए जो जागरूक हो, होश से भरा हुआ हो, सद्भाव से ओतप्रोत हो, अन्यथा शक्ति का तुम क्या करोगे? धन भी सम्यक् हाथों में पड़े तो शुभ है, असम्यक् हाथों में पड़ जाए तो अशुभ । ज्ञान अगर विवेक दे तो शुभ है, प्रमाद दे तो अशुभ। जो भोग रहा है उसके पीछे अभी अज्ञान है, अंधकार है और जो जागकर जी रहा है उसके जीने में प्रकाश है, ज्योति है।
फिर से दोहरा लें कि इस जगत में ज्ञान ही सारभूत अर्थ है, जो पुरुष सोते हैं उनके अर्थ खो जाते हैं। अतः सतत जागते रहकर पूर्वार्जित कर्मों का क्षय करो। धार्मिक का जागना और अधार्मिक का सोना ही श्रेयस्कर है। ऐसा भगवान महावीर ने वत्स देश के राजा शतनीक की बहिन जयंती से कहा, मैं भी आप लोगों से यही कहना चाहता हूँ, जागते रहो और जागकर ही अपने सभी कर्मों को विनष्ट करो। बेहोशी को तोड़ो, सुनहरी सुबह तुम्हारे सामने है।
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धर्म, आखिर क्या है ?
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