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________________ दस प्रतिशत भी अच्छे नहीं होते। झूठी मुस्कान, कृत्रिम हँसी, किसी सेल्समेन की तरह। जैसे सेल्समेन को प्रशिक्षित किया जाता है कि कैसे ग्राहकों के आने पर उन्हें मधुर व्यवहार करते हुए समझाया / पटाया जाए कि वे शोरूम से खाली हाथ वापस न जा सकें। ऐसे ही लोग कुत्रिमता ओढे रहते हैं। सेल्समेन का उद्देश्य किसी की सेवा नहीं है, बिज़नेस है। न जियें, दोहरी जिंदगी ____ जीवन में कभी दोहरी जिंदगी न जियें, बाहर कुछ और भीतर कुछ। आरोपित मुखौटे को उतारें। बाहर मुस्कान और भीतर कुटिलता के भेद को समाप्त करें। अन्यथा आप उस आभूषण की तरह हो जायेंगे जिस पर झोल तो सोने का चढ़ा है, पर भीतर वह पीतल का है। ऐसे दो मुंहे इंसान कहेंगे कुछ, और करेंगे कुछ। ये काफी खतरनाक लोग होते हैं। एक बार हम कोलकाता में सांपों के संग्रहालय में थे, वहाँ अनेक प्रजातियों के साँप देखने को मिले। संग्रहालय के निदेशक हमारे साथ चल रहे थे। मैंने पूछा शास्त्रों में दो मुँहे साँप का उल्लेख आता है, अपने संग्रहालय में क्यों नहीं है। कहने लगे जब से दो मुँहे इंसान पैदा होने शुरू हो गए हैं तब से दो मुँहे साँप पैदा होने बंद हो गए हैं। शायद! दो मुँहे साँप से भी ज्यादा ख़तरनाक दो मुँहे इंसान होते हैं। सौंपिए सूरज को अपना अंधेरा ___ आप अपने व्यवहार को बेहतर बनाएँ और इसके लिए ज़रूरी है कि आप अपने विचारों को बेहतर बनाएँ। विचार और व्यवहार का संतुलन होना चाहिए। जब भी किसी से मिलें हीनता का भाव न रखें, न ही हीन-भावना के विचार व्यक्त करें। मैंने लोगों को कहते पाया है 'ठीक है यार, जी रहे हैं, ठीक है. भैय्या वक्त काट रहे हैं, क्या करें जैसे-तैसे रोटी का जुगाड़ हो रहा है, अरे भैय्या क्या बताएँ किस्मत ही खराब है, अरे कैसी क़िस्मत फूटी जो इस औरत से मेरी शादी हुई'। पता नहीं, व्यक्ति कैसी-कैसी विपरीत टिप्पणी अपनी क़िस्मत और अपने बारे में करता रहता है। याद रखिए, सरज की किरणें केवल आपकी परछाइयाँ बनाने के लिए नहीं हैं, सूरज की किरणें आपके जीवन को प्रकाशित करने के लिए हैं। जो सूर्य की किरणों से केवल अपनी छाया और परछाई देखता रह जाता है उसके लिए सूरज व्यर्थ है और जो सूरज की किरणों का उपयोग जीवन के प्रकाश के लिए करता है उसके लिए ही सूरज सार्थक है। रोशन कीजिए सूरज की किरणों से अपने जीवन को। 75 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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