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________________ पहला स्वाद जीवन का सफ़र बहुत रोमांचक और विविधतापूर्ण है । हर व्यक्ति इस रोमांचक एवं विविधतापूर्ण जीवन को जीना चाहता है, लेकिन इसे कैसे जिया जाए कि इसका सौंदर्य परिपूर्ण और शांतिदायक रहे, इसका उसे प्रायः कम ही भान होता है । सफल और सार्थक जीवन के लिए हमारी दैनंदिनी में किन बातों का समावेश हो, इसके लिए पूज्य गुरुवर महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी ने सारगर्भित प्रभावी प्रवचन दिए हैं। उन्हीं में से कुछ विशिष्ट प्रवचनों का समावेश प्रस्तुत पुस्तक 'जीवन की ख़ुशहाली का राज़' में किया गया है। अपने प्रभावी व्यक्तित्व और विशिष्ट प्रवचन - शैली के लिए देश भर में लोकप्रिय संत श्री ललितप्रभ जी ने जहां भी जनमानस को संबोधित किया है, वहां सुधार की लहर चल पड़ी। लोगों में चेतना जागी और वे अंधविश्वास के अंधकूप से निकलकर सामाजिक और आध्यात्मिक प्रगति की ओर अग्रसर हुए। उन्होंने जाना कि जीवन कितनी सहजतापूर्वक जिया जा सकता है और जीवन को कितनी सहजता से आध्यात्मिक सौन्दर्य प्रदान किया जा सकता है । चिंता, तनाव, क्रोध जैसे विकारों से बचकर यदि व्यक्ति प्रेम, मित्रता, करूणा, आपसी भाईचारे और शांति जैसे तत्त्वों को महत्त्व दे, तो निश्चय ही जीवन में आध्यात्मिक आनंद लिया जा सकता है। पूज्यश्री ने सहज सरल भाषा में जीवन की आम सच्चाइयों को उद्घाटित किया है। मनुष्य आज जहां पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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