SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जीवन की खुशहाली का राज़ हमारा आज का जीवन बहुत अस्त-व्यस्त हो गया है। सभी किसी-न-किसी प्रकार के तनाव से ग्रस्त हैं और इसका सुगम समाधान भी चाहते हैं। प्रस्तुत पुस्तक जीवन के संभाव्यों का दर्शन कराती हुई सरल व अनुकरणीय समाधान देती है। ‘जीवन की खुशहाली का राज़' जीवन को समरस और सकारात्मक बनाने का सुगम मार्ग प्रदान करती है। जीवन जीने की कला को जानने के लिए प्रस्तुत पुस्तक किसी कुंजी की तरह है। यह मनुष्य की व्यस्त जिंदगी के सुचारु प्रबंधन के सही तरीके समझाती है। हमारे लुप्त हो रहे पारिवारिक मूल्य और सामाजिक दायित्वों का नैतिक बोध कराते हुए जीवन का लुत्फ उठाने का संकेत प्रदान करती है। महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर महाराज आज देश के नामचीन विचारक संतों में हैं। प्रभावी व्यक्तित्व, बूंदबूंद अमृतघुली आवाज, सरल, विनम्र और विश्वास भरे व्यवहार के मालिक पूज्य गुरुदेव श्री ललितप्रभ मौलिक चिंतन और दिव्य ज्ञान के द्वारा लाखों लोगों का जीवन रूपांतरण कर रहे हैं। उनके ओजस्वी प्रवचन हमें उत्तम व्यक्ति बनने की समझ देते हैं। अपनी प्रभावी प्रवचन शैली के लिए देश भर के हर कौम-पंथ-परम्परा में लोकप्रिय इस आत्मयोगी संत का शांत चेहरा, सहज भोलापन और रोम-रोम से छलकने वाली मधुर मुस्कान इनकी ज्ञान सम्पदा से भी ज्यादा प्रभावी है। 9975H ISBN81-223-0952-6 पुस्तक महल मूल्य : 60/ दिल्ली मुंबई बंगलोर पटना हैदराबाद www.pustakmahal.com 9788122"309522 50/ Jaduation International For Personal & Private Use Only ite Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy