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________________ परिवार की खुशहाली का राज़ खुशहाल परिवार में हर सुबह ईद, दोपहर होली और साँझ दिवाली होती है । स्वर्ग तब धरती पर उतर आता है जब किसी परिवार में खुशहाली छाई रहती है। जहाँ लोगों के बीच प्रेम, आत्मीयता, आनन्द, सहभागिता, रूठनामनाना, नाराजगी, आदर और सम्मान एक साथ वैसे ही पला करते हैं जैसे बगीचे में भांति-भांति के फूल खिला करते हैं तो समझ लीजिए कि स्वर्ग कहीं ओर नहीं है। जहाँ परिवार में घुटन और टूटन हैं, द्वेष और विरोध है, ईर्ष्या और विद्वेष की भावना है, समझिए वहीं नरक का बसेरा है । कुछ लोग अपने जीवन और परिवार की खुशहाली के लिए कई प्रकार की सुविधाओं को घर में इकट्ठा करते हैं ताकि उनके होने से बच्चे खुश हो जाएँ। लेकिन घर में उत्तम सामग्रियों के संचयन से स्वर्ग इजाद नहीं होता है । घर में फ्रीज और टी.वी. के होने या विदेशी वस्तुओं के संग्रहण से भी स्वर्ग नहीं होता है । संस्कारों की पहली पाठशाला परिवार में खुशहाली तब छाई रहती है, जब परिवार में आनन्द और प्रेम का माहौल होता है, हर व्यक्ति एक दूजे के प्रति सहभागिता और त्याग की भावना से जुड़ा होता है। तब राम के वनवास में भी स्वर्ग होता है। इसके विपरीत जहाँ परिवार में द्वेष होता है वहाँ किसी का राजतिलक होते हुए भी नरक होता है। Jain Education International 119 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003885
Book TitleJivan ki Khushhali ka Raj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalitprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2006
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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