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उबरें चिंता के मकड़ जाल से कल का दिन देखा है किसने, आज का दिन खोएँ क्यों। जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में रोएँ क्यों।
सबसे छोटे व प्यारे पुत्र की सर्प दंश से मृत्यु होने के कारण एक पिता चिंता से अत्यधिक व्याकुल हो गया। उसने सपेरे को बुलाकर साँप को पकड़वा लिया। पिता साँप को मारने वाला ही था कि तभी साँप ने कहा आप मुझे क्यों मारते हैं ? मैंने तो मृत्यु के आदेश का पालन किया था। दंड देना ही है तो मृत्यु को दंड दो।
पिता मृत्यु के पास गया। उससे कहा - आख़िर तुम कौन होती हो मेरे पुत्र की मौत का आदेश देने वाली? मृत्यु ने कहा – मुझे समय ने ऐसा करने को कहा था, पिता समय के पास गया और कहा – तुमने मेरे पुत्र की मौत का आदेश क्यों दिया? समय ने कहा- मुझे कर्म ने ऐसा करने को कहा था। पिता कर्म के पास गया और पूछा कि वह कौन होता है मेरे पुत्र की मौत का आदेश देने वाला।कर्म ने कहा -मैं तो जड़ हूँ। करने वाला तो तुम्हारा पुत्र ही था। तुम उसी से जाकर पूछ लो कि सही हुआ या ग़लत?
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