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________________ सितार के तारों को तोड़ने की सामर्थ्य सभी में है, पर उन तारों को अपनी कोमल अंगुलियों से बजाने की, छेड़ने की सामर्थ्य सब में नहीं है। उनमें मधुर संगीत उत्पन्न करने, उन्हें बजाने हेतु साधना की आवश्यकता है, निरंतर अभ्यास की ज़रूरत है पर तारों को तोड़ने हेतु किसी अभ्यास की आवश्यकता नहीं होती है। एक बहुत सुन्दर इमारत के मालिक ने अपने कारीगरों से पूछा क्या तुम इसे तोड़ सकते हो? यदि हाँ तो कितना समय लगेगा? कारीगरों ने कहा दो दिन में पूरी इमारत गिरा देंगे। फिर उसी व्यक्ति ने पूछा क्या इस इमारत को गिराकर आप सुन्दर इमारत दो दिनों में खड़ी कर सकते हो? कारीगर ने कहा - साहब! खुदाई करने वाले अलग, नक्शा बनाने वाले अलग, बिल्डिंग बनाने वाले अलग, मारबल लगाने वाले अलग कारीगर होंगे। तभी सुंदर इमारत खड़ी हो पाएगी। हम तोड़ना नहीं, जोड़ना सीखें और ऐसी शिक्षा ग्रहण करें जो हमारे सर्वांगीण विकास में सहायक हो।) | शिक्षा से हमारे चरित्र का विकास होना चाहिए। हमारे सर को जो ऊपर उठाए वह शिक्षा है। वही शिक्षा हमारे लिए सर्वांगीण वरदान सिद्ध होगी।आज की शिक्षा पेटी भरने, डिग्री प्राप्त करके नौकरी हासिल करने का सामान्य माध्यम है। एम.ए., पी.एच.डी. के विद्यार्थियों को देखें तो न तो उनकी सही रूप में अभिव्यक्ति है, न ही निर्णय की क्षमता है, न ही जीवन के प्रति कोई सकारात्मक दृष्टिकोण है । पुस्तकों का भारी भरकम बोझ इस क़दर बढ़ता जा रहा है मानों कोई पार्सल पैक हो। ठोस ज्ञान समाप्त प्रायः हो रहा है। रट-रट कर दिमाग़ को दिमाग़ नहीं एक फ्लोपी या सीडी बनाया जा रहा है। अगली कक्षा में जाने वाले पुराने अध्ययन को भूल जाते हैं। कृपया केवल तोते की तरह रटना छोड़ें। सही सोच, सही समझ, सही चिंतन विकसित करें तभी हम आगे बढ़ सकेंगे। ऐसा हुआ, एक व्यक्ति कुछ दिन पहले जोर-जोर से रो रहा था। उसके पास बोरियाँ भर के डिग्रीयाँ थी। मानो वह व्यक्ति पढ़ाकू हो। उसकी कारुण्य दशा देखकर मैंने पूछा आपके साथ क्या अनहोनी हो गई जो आप रो रहे हैं। 38 | Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003884
Book TitleBahetar Jine ki Kala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhashreeji
PublisherJain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta
Publication Year
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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