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को बेहतर, निर्मल और पवित्र कर दे। महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि आप यहाँ आएँ या नहीं आएँ, वरन महत्त्वपूर्ण यह है कि आपने यहाँ आ कर अपने मन और विचारधारा को यहाँ स्थिर और सुदृढ़ किया या नहीं। संभव है कि कोई व्यक्ति यहाँ बैठा हुआ अपनी दुकान के बारे में सोच रहा है और यह भी सम्भव है कि दुकान में बैठा हुआ कोई व्यक्ति किसी 'चन्द्रप्रभ' की वाणी को सुनने के लिए चिन्तन कर रहा हो। यह मन का दल-बदलुपन है।
आप ऐसा न समझें कि कोई व्यक्ति मरने के बाद स्वर्ग या नरक में जाता होगा। मनुष्य नहीं जानता कि उसके विचार उसे कितनी बार स्वर्ग की
और कितनी बार नरक की सैर करा देते हैं। आप यदि अपनी ओर से दस बार प्रेम करने के लिए तत्पर होते हैं तो आपने एक ही दिन में दस दफा स्वर्ग की सैर कर ली और यदि आप तीन दफा चिन्ता करते हैं, दो दफा तनाव करते हैं, चार दफा गुस्सा करते हैं तो कम से कम आप नौ-दस दफा नरक के दुःख और नरक की यातनाएँ भोग चुके हैं।
___ पता नहीं, विचारों में आप किसके साथ हैं और आपकी पत्नी किसके साथ? साफ-सुथरा तथा सुंदर दिखने वाला इन्सान, अपने विचारों में कब कितना नीचे गिर जाए और कब-कितना ऊँचा उठ जाए, इसकी भविष्यवाणी तो दुनिया का कोई भी ज्योतिषी नहीं कर सकता। किसके मन में क्या है, इसकी भविष्यवाणी अतीत या भविष्य का कोई सर्वज्ञ भी नहीं कर सकता। भविष्यवाणी तो उसकी की जाती है जो चीज तय हो। लेकिन व्यक्ति की सोच तो गिरगिट की तरह पल-पल में रंग बदलती है इसलिए इसकी भविष्यवाणी कैसे की जा सकती है? _ 'सोचना' एक बहुत बड़ी कला है। जिन्दगी में अगर किसी व्यक्ति को कुछ सीखना है तो मैं कहूँगा कि वह सोचने की शैली को विकसित करे। पूरे दिन में न जाने हमारे मन में कितनी बार सार्थक विचार आते हैं और कितनी बार निरर्थक विचार आते हैं। न जाने व्यक्ति कितनी बार अपने विचारों से राम बन जाता है और कितनी बार रावण? वह कितनी बार कृष्ण बनता है तो कितनी बार कंस! मेरे मन की मैं जानता हूँ और आपके मन की ५६
आपकी सफलता आपके हाथ
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