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________________ वह उसे नहीं कर पाएगा। उसने यदि यह सोच लिया कि मैं यह काम कर लूँगा, तो वह उस काम को जरूर कर लेगा। यह तो हममें से प्रत्येक व्यक्ति की मानसिकता पर निर्भर करता है। हम सभी सुबह सोकर उठते हैं। अगर मुर्दे की तरह उठते हैं तो पूरे दिन भर हमें मुर्दानगी का ही अनुभव होगा। वहीं अगर हर सुबह की शुरुआत मर्दानगी से होती है, तो पूरा दिन ऊर्जा से भरा रहता है। अगर हम सुबह उठते ही लड़ते-झगड़ते हैं, ओछी बातें सोचते हैं तो पूरे ही दिन भर वे ओछी बातें हमारे दिमाग में घूमेंगी। उनसे प्रमाद रहेगा, आलस्य रहेगा और निराशा बढ़ेगी। आपको लगेगा कि यह काम मैं कैसे कर सकता हूँ? और तुम वह काम कर भी नहीं पाओगे; भले ही तुमने सुबह उठकर सौ बार दण्ड-बैठक क्यों न की हो? क्योंकि दण्ड-बैठक तो शरीर से की होगी, पर मन से तो तुम मुर्दा बने बैठे हो। नतीजा यह निकलेगा कि तुम कुछ भी न कर पाओगे। __ अपने मन को मजबूत कीजिए। अपने को हारा हुआ मत समझिए। हारना कोई बुरी बात नहीं है। प्रतिस्पर्धा में चार दौड़ते हैं जिनमें तीन हारते हैं और एक जीतता है। तीन अगर फिर प्रयास करें तो तीन में से दो हारेंगे और एक जीतेगा और दो फिर से प्रयास करें तो एक जीतता है, दूसरा हारता है। और फिर भी हारा हुआ व्यक्ति प्रयास करता है तो दुनिया हारेगी और वह जीतेगा। यह तो हमारे मनोबल पर निर्भर करता है, हमारी इच्छाशक्ति पर निर्भर करता है कि हम कामयाब होंगे या नाकामयाब। खेल-जगत से जुड़े हुए लोग जानते होंगे और आज तो सभी लोग इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हैं। खेल-जगत से जुड़ी हुई एक ऐसी लड़की, जिसे चार वर्ष की उम्र में निमोनिया हो गया था, बीमार पड़ गई। निमोनिया इतना अधिक बिगड़ गया कि उसे पोलिया हो गया। उसके दोनों पाँव जाम हो गए। पर उस लड़की के मन में, जब भी खेल देखने जाती तो यह इच्छा होती कि मैं भी विश्व चैम्पियन बनूँ। पोलियो हो जाने से वह अपाहिज हो गई, तेरह वर्ष की उम्र में उसने बैसाखी थाम ली तो भी उस लड़की के मन में हर समय यही ख्वाहिश, २० आपकी सफलता आपके हाथ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003883
Book TitleAapki Safalta Aapke Hath
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2006
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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