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सभी श्मशान तक ही साथ निभाते हैं, साथ कोई नहीं जाता। हमारे अपने ही, शव को अग्नि को समर्पित कर देते हैं।
संत ने युवक का सिर थपथपाया और कहा- बेटे खड़े हो जाओ और युवक तत्काल खड़ा हो गया। संत ने पूछा- अब बताओ, तुम्हारा क्या विचार है । घर वालों ने अनुमति दे दी। घर वालों का तुम्हारे बिना काम चल सकता है। अब तुम बताओ घर वालों के बिना तुम्हारा काम चल सकता है? और वह युवक संत के साथ चला गया।
आज की परिस्थितियों में यह प्रसंग पुनः उपस्थित हो जाए, तो मैं नहीं जानता कि आप क्या करेंगे। जरूर ही दुविधा में फँस जाएँगे। एक मन तो संसार में खींचेगा, दूसरा संन्यास में बुलाएगा। और वह क्षण अप्रतिम होगा जब संसार में ही संन्यास घटित हो जाएगा। परमात्मा का प्रसाद होगा वह, जब कोई आत्मबोध को उपलब्ध होगा। ठोकर खाई और जाग गया, सम्यक्त्व को,सम्बोधि को उपलब्ध हुआ। जीवन के बन्धनों के प्रति हमारे व्यामोह को कम करने के लिए ही यह सूत्र है
दुमपत्तए पंडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए।
एवं मणुयाण जीवियं, समयं गोयम! मा पमायए। महावीर ने अपने प्रिय शिष्यों को जो प्रमुख उद्बोधन दिए, उनमें से एक यह उदबोधन है। गौतम तो सिर्फ एक माध्यम है। उनके लिए लाखों-लाख गौतम है; हम और आप भी उनके लिए गौतम ही हैं, जिनके लिए वे अपनी वाणी से अमृत वर्षा करते हैं। आप स्वयं को महावीर का गणधर मान सको, गौतम समझ सको तो यह गाथा आपके लिए एक बड़ा चमत्कार हो सकती है। अगर यह समझा कि महावीर ने यह बात आज से पच्चीस सौ वर्ष पूर्व सिर्फ़गौतम के लिए कही थी, तब तो यह गाथा हमारे कुछ काम न आएगी। स्वयं को महावीर का गौतम ही मानो, ताकि महावीर का सामीप्य और सान्निध्य मिल सके। स्वयं को पच्चीस सौ वर्ष पूर्व महावीर के सभामंडप में ले चलो और महावीर के चरण छूकर कहो, प्रभु मैं आपके चरणों में हूँ, मेरे लिए क्या संदेश है। तब महावीर यह बात कहेंगे, जैसे समय बीतने पर वृक्ष का सूखा हुआ पत्ता गिर जाता है, उसी प्रकार मनुष्य का जीवन है। अतः गौतम! क्षण मात्र का भी प्रमाद मत करो।'
जैसे समय बीतने पर वृक्ष का सूखा हुआ पत्ता गिर जाता है वैसे ही क्या मनुष्य का जीवन भी नहीं गिर जाता? क्या मनुष्य के साथ भी ऐसा ही नहीं होता? और जो लोग वृद्ध हो चुके हैं, वे तो कम से कम यह जान ही लें कि जीवन के वृक्ष पर उनका पत्ता पीला पड़ चुका है और वह किसी भी क्षण भूमिसात् हो सकता है। हवा का हल्का-सा झोंका भी पत्ते को धराशायी कर देगा। जीवन बिल्कुल पेड़ के पत्ते की
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