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________________ 80000000000000000000000000000000000000036 इससे मन की चंचलता और अस्त-व्यस्तता स्वतः दूर होगी, चित्त शांत और एकाग्र होगा, मन की विकृत ग्रंथियाँ टूटेंगी और हम सहज ही आत्मिक सुख के स्वामी बनेंगे। है जीवन में सहजता का गुण अपनाइए। विपरीत हालात में भी स्वयं को सहज और प्रसन्न रखिए। जब ऋतुएँ भी बदलती हैं और दिन को भी रात का सामना करना पड़ता है, तब फिर क्यों न हर मुश्किल का हँसते हँसते सामना किया जाए? है सचेतनता को जीवन के रास्ते का चिराग़ बना लीजिए। अपने प्रत्येक कार्य को इतनी सचेतनता से कीजिए कि चूक होना असंभव हो जाए। सेविंग करते समय ब्लेड का कट आखिर इसलिए लगता है कि हम ध्यान चूक जाते हैं। • अपने आपको हर हाल में सकारात्मक रखिए। अच्छी सोच और अच्छा नज़रिया उस सूरज और चाँद की तरह हैं जो हर हाल में हमें ऊर्जा और आलोक देते हैं। * अपने मन को सदा स्वतंत्र रखिए। कमल की पंखुड़ियों को सदा याद रखिए और स्वयं को धन, परिवार, व्यापार की सक्रियता के बीच भी निर्लिप्त रखिए। आप अधिक सुखी जीवन जी सकेंगे। 330000000000000000000 2363003888888880 1 339838 0 8050082250852068 888888888888888888888888888888290989658000 RR Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003881
Book TitleSafal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2010
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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