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________________ भजन की ताकत शब्द या बोल में नहीं, हृदय की उसके साथ जुड़ने वाली भावना में है। हृदय की भावना प्रार्थना और पुकार लिये हुए जब आँखों से निर्झरित होती है तो वह दशा ही सच्चा भजन कहलाती है । प्रभु के अलग-अलग रूप महज अलग-अलग जलने वाले दीये हैं । यदि रूपों के भेदों को अलग कर दिया जाए तो ऐसा कौन-सा दीप है जिसकी ज्योति दूसरे दीपक से भिन्न हो । जिनकी दृष्टि मात्र मिट्टी के दीयों पर अटक जाती है, उन्हें मिट्टी ही हाथ लगती है । जिनकी दृष्टि दीयों से ऊपर उठकर ज्योति पर केन्द्रित हो जाती है वे सहज ही ज्योतिर्मय हो उठते हैं । प्रार्थना पहला चरण है और ध्यान अगला । प्रार्थना में हम प्रभु से बातें करते हैं, जबकि ध्यान में प्रभु हमसे । अंतरात्मा की आवाज़ प्रभु का संदेश है। हमें जीवन में वही करना चाहिए, जैसा करने के लिए प्रभु का संदेश और आदेश हो । Jain Education International For Personal & Private Use Only 81 www.jainelibrary.org
SR No.003881
Book TitleSafal Hona Hai to Ek Tir Kafi Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2010
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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