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कृपया अपनी पत्नी से झगड़ा मत कीजिए । क्या आपने झगड़ने के लिए उससे शादी की है। खुद को देकर हमारी व्यवस्थाओं में सहयोगी बनने वाली का आप भी सहयोग कीजिए ।
समाज में चंदा देना सौभाग्य की बात है, पर यदि आपका अपना भाई संकट से गुज़र रहा है तो संकटमोचक बनकर पहला सहयोग भाई को दीजिए, बाद में दीजिए समाज को ।
ध्यान रखिए, स्वार्थों का त्याग करना ही सच्चा धर्म है। अपने सम्बन्धों के बीच स्वार्थ को मत लाइये, वरना आप सम्बन्धों को भी व्यापार बना बैठेंगे ।
घर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखिए, पर जितना यह ज़रूरी है उतना ही यह भी कि आप स्वयं भी स्वच्छ और व्यवस्थित रहें - मन से भी, वाणी से भी, कार्यशैली से भी ।
घर में तीख़ी ज़बान के कैक्टस नहीं, मीठी मुस्कान के गुलाब उगाएँ, जिसकी ख़ुश्बू से पड़ोसियों का दिल भी महक उठे ।
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