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५ जीवन का लक्ष्य बनाइये । बगैर लक्ष्य का व्यक्ति करता तो बहुत कुछ है, पर पाता कुछ नहीं । घड़ी का पेंडुलम हिलता - डुलता तो खुब है, पर पहुंचता कहीं नहीं ।
९ नाकामयाबी के कारण निराश मत होईये, उसने आपको सम्हलकर चलने की प्रेरणा दी है।
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असफल होने पर भाग्य को कोसने की बजाय यह देखिए कि प्रबंधन कहाँ कमजोर रहा।
अपने कार्य और उत्पादन को हर रोज बेहतर बनाने का प्रयत्न कीजिए। याद रखिए लोगों को आपसे नहीं, उनको प्राप्त होने वाले लाभ से मतलब है ।
इससे पहले कि कल आप पर काम का अतिरिक्त बोझ बढ़े, आप उसे आज ही करना शुरू कर दीजिए । प्रयास तब तक जारी रखिए, जब तक आप उसके परिणाम से संतुष्ट न हो जाएँ ।
सफलता की सड़क पर चलने के लिए अपनी अर्द्धांगिनी का भी सहयोग लीजिए। उसका कंधा आपके कंधे को मज़बूत करेगा ।
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