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लीजिए और अपने स्वाभिमान तथा शक्ति को जगाकर
लक्ष्य के लिए प्रयत्नशील हो जाइये। C कछुए और खरगोश की कहानी से सीखिए कि जीतने के लिए क्या चाहिए? जीत का विश्वास, लक्ष्य के प्रति निष्ठा और लगातार चेष्टा। मनुष्य के हाथ में भाग्य नहीं, पुरुषार्थ की रेखा है। पुरुषार्थ अगर अनवरत चलता रहे, तो बूंद को भी सागर बनते देखा गया है और भाग्य के देवता को भी पुरुषार्थ
और पराक्रम का सम्मान करते हुए पाया गया है। फूल वह काम का नहीं है जिसकी पंखुड़ियों में आकर्षक रंग हो। फूल वह काम का है जिसमें खिलावट के साथ खुश्बू भी हो। कामयाबी के महकते फूल तो कोशिशों की क्यारियों में ही खिला करते हैं। "किसी की टिप्पणी को सुनकर बुरा मत मानिए। दूसरों की टिप्पणी आपके लिए चुनौती है। उसे स्वीकार कीजिए
और वह रोशनी फैलाकर दिखाइये कि अंधेरा भी शर्मिंदा हो जाए।
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