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ग्रीस लगाइये। हर सुबह घर के बड़े-बुजुर्गों के चरणस्पर्श का सौभाग्य प्राप्त कीजिए और सबके साथ प्रेम, सम्मान और विनम्रता से पेश आइये, आपको उनके आशीष, आत्मीयभाव और सहयोग तीनों प्राप्त होंगे।
अनुभवों को अपने जीवन का अध्यापक बनाइए । ग़लती हो जाने पर महज 'सॉरी' कहकर उसे नज़रअंदाज़ मत कीजिए । ग़लती को महसूस कीजिए और उससे सीख लेते हुए बेहतर परिणाम के लिए फिर से तत्पर हो जाइये । मौलिकता में विश्वास रखिए। औरों से प्रेरणा लीजिए, पर औरों की नक़ल करके स्वयं को मनुष्य से बंदर मत बनाइये। याद रखिए, नक़ल करके आप तक कोई महान् नहीं बन सका है।
अपने समान दूसरों से अपेक्षा मत रखिए। दूसरों से उतनी ही अपेक्षाएँ रखिए जितनी उनमें काबिलियत है, अन्यथा आपको उनसे उम्रभर आक्रोश और असंतोष का सामना करना पड़ेगा।
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