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'सलाह वही दीजिए, जो हितकारी हो । अपना स्वार्थ साथ में रखकर किसी को सलाह देने का अपराध मत कीजिए । जितने लोगों को आप साथ लेकर चलेंगे, आपकी शक्ति उतनी ही बढ़ेगी ।
नम्रता को अपने जीवन की पोशाक बनाइए । यह गुलाबी होठों की तरह सुन्दर लगेगी।
^ किसी पर झल्लाने की बजाय उसे काम करने की तहजीब सिखाएँ ।
^ अपने आपको स्वयं व्यवस्थित कीजिए, वरना आपको दूसरों की व्यवस्थाओं पर चलना पड़ेगा ।
• आप बेसहारों का सहारा बनिए, आपको सहारा अपने आप मिल जाएगा।
संतोष का अर्थ यह नहीं है कि अब आप कुछ न करें, वरन् यह है कि जो आपको मिला है, पहले उसे खुशी से जी लें।
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