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________________ है, उसे स्वास्थ्य और अहिंसा से क्या लेना-देना, उसे तो व्यापार से मतलब है । उसे तो पैसे से, अर्जन से मतलब है, उन्हें सृजन से मतलब नहीं है । मेरा तो मत है कि व्यक्ति को थोड़ी-बहुत सब्जियाँ तो अपने घर में उगा ही लेनी चाहिए । अगर उगाना स्वस्थ होगा तो हमारा स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। याद रहे महावीर 1 धर्म में ऐसी कोई भी बात नहीं है जो स्वास्थ्य के ख़िलाफ़ हो । वे स्वयं के और दूसरों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। अहिंसा की बात भी अपने और दूसरों के भले के लिए ही है। अगर आज हम दूसरों का बुरा करेंगे तो कल हमारा भी बुरा होगा । आज हम किसी का वध करेंगे तो कल हमारा भी वध होगा । आज हम किसी का भला करेंगे तो कल हमारा भी भला होगा । उगाना स्वस्थ हो, अहिंसामूलक हो । आजकल तो सब्जियाँ और फल भी इंजेक्ट आते हैं। अब तक तो दूध इंजेक्ट आया करता था । लोग दूध ज़्यादा निकालने के लिए जानवरों को इंजेक्शन दिया करते थे। अब तो सब्जियों को भी इंजेक्शन लगाया जाता है, ताकि वे जल्दी पक जाएँ। पानी भी आजकल गंदे नालों का उपयोग करने लग गए हैं। पहले सब्जी - सलाद उपयोगी होता था, अब तो सब्जी पकाए बग़ैर खाना रोग का कारण है । भले ही दो पैसे ज़्यादा लगें, पर सब्जी ऐसे मालियों से खरीदो जिनके खेतों में शुद्ध पानी का उपयोग होता हो । बड़े शहरों में रहने वाले लोग इस बात पर विशेष ध्यान दें । | ढक्कन दूसरा है 'पकाना' जब हम खाना बनाते हैं तो उसमें भी अहिंसा का विवेक रखना चाहिए। एक बार गांधीजी के लिए पानी उबाला जा रहा था । वे सुबह नाश्ता लेते थे उसमें एक गिलास गरम पानी में नींबू शहद डालकर लेते थे मोरारजी भाई उनके लिए पानी उबाल रहे थे, गांधीजी वहाँ से निकले, उन्होंने कहा भाई मोरारजी तपेले पर ढक्कन लगा दो। मोरारजी बोले खुला है तो पता चल जाएगा कि पानी कितनी मात्रा में उबला है। गांधीजी ने कहा पानी कितना उबला है इसके लिए ढक्कन उठा देना, पर ढक्कन इसलिए लगा दो क्योंकि तेज गरम भाप के कारण हवा में चलने वाले सूक्ष्म क्यों, जीवाणु मरें । - - यह विवेक से सावधानीपूर्वक पकाने की बात हो गई। अगर हम गैस, ८६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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