________________
खाने से संभव है भोजन की खुशबू से कोई मक्खी मुँह में जा सकती है। अहिंसा के आचरण के लिए ही रात्रि-भोजन का निषेध किया गया है। रात के समय कृत्रिम रोशनी तो की जा सकती है, हमें उसमें दिखाई भी ठीक से देगा, पर इस रोशनी में इतने कीड़े और मच्छर हो जाएंगे कि उनकी हिंसा का दोष तो हमें लगेगा ही। जिन दोषों से बचा जा सकता है उनसे बचा जाना चाहिए।
अब लोग सुविधाभोगी हो गए हैं, व्रत भी करते हैं और छूट भी रखते हैं। लोगबाग रात्रि - भोजन त्याग का व्रत ले लेते हैं पर कहते हैं पाँच-छ: दिन की छूट रखी है। क्यों ? क्योंकि कहीं समारोह में - शादी, जन्मदिन, गृह-प्रवेश आदि में जाना है तो रात में खाना ही पड़ता है। अरे भाई, जब अहिंसा को प्रतिष्ठित करने की बात आई तो असफल हो जाते हैं और रात्रि में भोजन कर लेते हैं। घर में तो हिंसा अहिंसा को देखने वाले हम स्वयं ही हैं। इमेज तो बाहर बनानी चाहिए। समाज में बड़े-बड़े जीमण बंद होने चाहिए क्योंकि इनके लिए खाना दो दिन पहले से ही बनना शुरू हो जाता है। रात भर भट्टियाँ चलती रहती हैं। बना भी रात में, खाया भी रात में तो दोनों एक जैसे ही हो गए। जब हम दिन में खाते हैं तो भोजन भी दिन में ही बनना चाहिए। हमें अपनी प्रेक्टीकल लाइफ के साथ अहिंसा को जोड़ना चाहिए। साधना-भाव रखने वाले व्यक्ति को तो यह विवेक रखना ही चाहिए कि जब रात को नहीं खाते हैं तो खाना रात में नहीं बनाएँगे। जैसे रात को भोजन करना दोषपूर्ण है वैसे ही बनाना भी दोषपूर्ण है।
होटल के खाने से परहेज रखें क्योंकि होटल का खाना बासी, अस्वास्थ्यकर और बिना साफ-सफाई के बनता है। घर का खाना शुद्ध, सात्विक और साफसफाई का ध्यान रखकर माँ, बहिन, पत्नी प्रेमपूर्ण तरीके से बनाती हैं। महिलाएँ कभी भी हिंसामूलक आहार नहीं करवाएँगी। इतना ही नहीं, अगर हम मल-मूत्र का विसर्जन करने जाएँ तो वहाँ भी विवेक रखें कि अहिंसा का पालन करें। बाथरूम या शौचालय में कीड़े-मकोड़े हैं तो पहले उन्हें साफ कर देना चाहिए। सर्जन और विसर्जन दोनों ही अहिंसामूलक होना चाहिए। यह व्यक्ति के जीवन में क्रियामूलक अहिंसा होगी।
पारिवारिक अहिंसा के पालन में हमें कटु वाणी, आरोप या आक्षेप की भाषा नहीं बोलनी चाहिए जो किसी के दिल तक को आहत कर जाए। वर्तमान में जो आत्म-हत्याएं हो रही हैं वह अभाव, कर्ज या दहेज़ के लिए नहीं वरन् दूसरों
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org