________________
व्यक्ति हजारों पर भले ही विजय पा ले तब भी अपने-आप से तो हारा हुआ ही रहेगा क्योंकि मौत से तो हर कोई व्यक्ति हार जाता है। मौत के आगे विवश सिकंदर ने २४ घंटे के बदले अपना पूरा साम्राज्य दाँव पर लगा दिया था, पर वह हार गया। पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, पर जब खुद की साँस चुक रही हो तो किस पैसे से खुद को तौलोगे ? अरबपति के पास अगर एक अरब रुपये हों और साँस निकल रही हो तो वह अपनी हर साँस के लिए हजारों रुपया देने को तैयार हो जाएगा ।
कहते हैं एक आदमी फैक्ट्री की छुट्टी होने के बाद किसी काम से वहाँ रुका रहा। फैक्ट्री का नियम था कि पाँच बजते ही सारे दरवाजे बन्द कर दिए ते थे। बाहर से बिजली का मेन स्विच भी ऑफ कर दिया जाता । वह अंदर ही बन्द रह गया, आवाज़ भी बाहर नहीं पहुँच सकती थी । उसने देखा चारों ओर जवाहरात ही जवाहरात पड़े थे। वह तीन दिन वहीं रह गया, खाने को कुछ न मिला। सोमवार को ही फैक्ट्री खुली तो उसने बाहर निकलते ही अपने हाथ के खून से लिखा कि जवाहरात से भी ज्यादा ज्वार के दाने (रोटी) मूल्यवान होते हैं
I
1
जिसकी साँस चुक रही हो वही जान सकता है कि ज़िन्दगी का मोल क्या है ? एक जीतता है बाहर के शत्रुओं को और एक जीतता है भीतर के शत्रुओं
1
को । हजारों योद्धाओं को जीतना शायद आसान हो, पर अपने आपको जीतना बहुत कठिन है। अपने क्रोध, अभिमान, प्रशंसा की आकांक्षा को जीतना, भीतर के आक्रोश को जीतना सौ योद्धाओं को जीतने से भी ज़्यादा कठिन है । जिस दिन हमने यह व्रत लिया उसी दिन हमारे मन की तपस्या हो गई । तन को खूब तपाया पर मन फिर भी अछूता रहा। मैं अंतरमन की बात करता हूँ। अंतरमन का साधक हूँ, अन्तरमन के गीत गाता हूँ। हर व्यक्ति अन्तरमन की प्रेरणाओं से ही जीता है । इसलिए हर व्यक्ति को अपने अन्तरमन को सजाना और सँवारना चाहिए ।
मन मैला और तन को धोए, फूल को चाहे काँटे बोए । करे दिखावा भक्ति का तू, उजली ओढ़े चादरिया ।। भीतर से मन साफ किया, बाहर माँजे गागरिया । परमेश्वर नित द्वार पे आया, तू भोला रहा सोए ।। कभी न मंदिर में तूने, प्रेम की ज्योति जलाई ।
३८
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org