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________________ चाहेगा। वे कुत्ते के पास आए और बोले- चौधरी अब तो चलो। चौधरी रूप कुत्ते ने कहा- महाराज, आप भी क्या बात करते हैं, अभी तो मुझे इस घर की रखवाली करनी है। आप जानते नहीं हैं, मेरी विधवा पत्नी घर में अकेली है और बेटा भी बाहर गया है, इसलिए रखवाली करनी है। अभी मरने की फुर्सत नहीं है। नारद जी फिर वापस चले गए। थोड़े दिन बाद लौटकर आए कि शायद इस बार चलने की इच्छा हो जाए। देखा कि बेटे ने कुछ गलती की है तो चौधरी कुत्ता; जो अभी तक अपने को बाप ही समझता था, वहाँ जाकर भौंकने लगा (उसे लगा कि वह डाँट दे)। बेटे को गुस्सा आ गया। उसने पास में पड़ी लाठी उठाई और कुत्ते के सिर पर जोर से मार दी। कुत्ता वहीं मर गया। जब कुत्ता अंतिम साँसें गिन रहा था तब भी उसे आशा रही कि शायद बच जाऊँ और पत्नी की रखवाली कर सकूँ। हम अंतिम सांस तक भी आशा रखते हैं कि शायद किसी विधि बच जाएँ और जीवन का उपभोग कर सकें। लेकिन वह कुत्ता मर गया और मरकर साँप बना। साँप बनकर वहीं पैदा हुआ। नारद जी ने सोचा इसकी योनि और ख़राब हो गई है, चलो इसको ले चलता हूँ। वे साँप के पास आए। साँप ने बहाने बनाने शुरू कर दिए- नारद जी तुम्हें नहीं पता, मैंने इस आँगन में चार बड़े-बड़े घड़े सोने और चाँदी के भरकर रखे थे, मेरे बेटे को पता नहीं है इसलिए मुझे उनकी रखवाली करनी है। मैं अभी नहीं चल सकता। नारद श्रीभगवान के पास वापस पहुँचते हैं तो वे पूछते हैं- कहो भई किसी को लाए। नारद जी ने कहा- भगवन्, दुनिया में कोई भी इन्सान ऐसा नहीं है जो बैकुंठ आने के लिए मरना चाहता हो। दुनिया में इसी प्रकृति के लोग होते हैं जो मरना ही नहीं चाहते। लेकिन दूसरे तरह के मृत्यु से निर्भय लोगों की प्रार्थना होती है- हे प्रभु, जब भी तू मुझे बुलाना चाहे मुझे आराम से याद कर लेना, मैं हमेशा तुझे याद करता हुआ रहूँगा। ऐसे लोग कहते हैं- जब प्राण तन से निकलें तब होठों पर तुम्हारा नाम हो, जिह्वा पर तुलसीदल हो, मेरा तन मथुरा या वृंदावन के बंसीवट के नीचे हो- इस तरह उनके उन्नत भाव होते हैं कि चाहे जब मौत आए, वे स्वागत में तत्पर हैं। वे मृत्यु से घबराते नहीं हैं। पुरानी कहानी बताती है कि एक संत को किसी राजा ने फाँसी पर लटकाने का आदेश दे दिया था। संत को जब फाँसी पर चढ़ाया जा रहा था तो वह नाचने लगा। राजा ने सोचा शायद मृत्यु का नाम सुनकर यह पागल हो गया ३१६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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