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________________ यात्रा कर रहे हैं लेकिन जो अपने ही क्रोध को शांत न कर पाया, अभद्र भाषा से बाहर नहीं निकल पाया, मन में संयम ही न आ पाया, प्रेम और शांति प्रगाढ़ न हो पाई वह व्यक्ति अहिंसा रूपी ढाल के बलबूते कैसे सामना कर सकेगा ? आज के युग में यह आश्चर्य ही माना जाता है कि लँगोटीधारी गांधी ने सत्य और अहिंसा के बल पर इस देश को उस ब्रिटिश राज्य से आजाद कराया जिसके लिए कहा जाता था कि उनके साम्राज्य में सूरज नहीं डूबता । चारों ओर दमन, आतंक और शस्त्र के बलबूते विजय पाने वाला अंग्रेजी-शासन सत्य और अहिंसा के सामने निःशस्त्र हो गया । यह अहिंसा की बहुत बड़ी विजय है। लोग सत्य के साथ हो गए और अहिंसामूलक कुर्बानियाँ दीं। शायद विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी आज़ादी में अहिंसा प्रतिष्ठित हुई। गांधीजी आज विश्ववंदनीय हैं क्योंकि उन्होंने संहार का नहीं मानव को मानव से जोड़ने का अभियान चलाया। उनकी ताक़त अहिंसा थी। यह दुनिया भी अहिंसा के आधार पर ही टिक सकेगी। हिंसा से दुनिया टिक ही नहीं सकती। शस्त्रों से दुनिया को मिटा सकते हैं, बना नहीं सकते। बुद्ध जब अंगुलीमाल के सामने पहुंचे और अंगुलीमाल ने जैसे ही अपना शस्त्र उठाया, बुद्ध ने कहा - तुम मुझे मारो इसके पहले एक काम करो, सामने जो वृक्ष है उसकी एक डाल काट दो । अंगुलिमाल झट से गया और डाल काट दी। बुद्ध ने कहा - तुमने डाल काट तो दी लेकिन क्या इसे वापस जोड़ भी सकते हो ? अंगुलीमाल ने कहा - नहीं, जोड़ तो नहीं सकता। बुद्ध ने कहा - जो आदमी जोड़ नहीं सकता उसे किसी को तोड़ने का अधिकार कैसे हो सकता है ? अगर मैं आपको प्यार नहीं करता हूँ तो मुझे आपको डाँटने का कोई हक नहीं है। डाँटने का अधिकार प्यार करने पर ही मिलता है। कोई भी माँ, पिता या गुरु तभी डाँटने के हकदार हैं जब वे प्यार करते हैं। हिंसा एक चुनौती है। आज अस्त्र-शस्त्र की भाषा ही चल पड़ी है। श्रीकृष्ण ने युद्ध का विकल्प चुना नहीं था, उसे मज़बूरी में स्वीकारा । उन्होंने माना कि युद्ध किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकता। युद्ध अंतिम है, इसलिए अंतिम क्षण तक हमें शांति का ही प्रयत्न करना चाहिए । युद्ध के बारे में तो सोचना भी नहीं चाहिए। महाभारत का क्या परिणाम हुआ ? अनगिनत लोग मारे गए, अनगिनत बहनों की राखियाँ लुट २८९ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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