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________________ (बीच में प्रश्न आया) क्या हमें आतंकवादियों का कत्ल कर देना चाहिए ? (उत्तर) इस संबंध में मेरा अनुरोध है कि हर व्यक्ति को जीने का हक है और उसे यह हक देना चाहिए। हाँ, यह भी कि हममें से प्रत्येक का दायित्व है कि ऐसे लोगों से सम्पर्क करके उन्हें सही रास्ते पर लाने की कोशिश करनी चाहिए । जैसे उन लोगों के जत्थे के जत्थे कुर्बान हो रहे हैं हक की लड़ाई के नाम पर, वैसे ही अहिंसा के नाम पर, जो विश्व में शांति चाहते हैं, उन्हें भी अपनी कुर्बानी देनी पड़ेगी। तभी उनसे सम्पर्क साध सकेंगे, उनके करीब पहुँच सकेंगे। जिस तरह वे हिंसा के नाम पर मर रहे हैं वैसे ही हमें अहिंसा के नाम पर मरना सीखना होगा। उन्होंने तो हिंसा के नाम पर मरना सीख लिया है तभी वे झट से मानव बम बनकर उड़ाने का प्रयत्न करते हैं। लेकिन जो अहिंसा में विश्वास करते हैं वे मरना नहीं सीख पाए, अहिंसा के नाम पर मारना तो भूल गए, पर मरना नहीं सीख पाए। आज अगर महावीर, बुद्ध या गांधी आ जाएँ तो उन्हें किसी प्रकार के बॉडी-गार्डों की जरूरत नहीं पड़ेगी जैसी कि हमारे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को पड़ती है। भले ही गांधीजी की हत्या हो गई पर बॉडी-गार्ड न थे। अहिंसा में भरोसा रखने वाले मारते भले ही न हों पर वे मरना भी जानते हैं। प्राचीन समय के ऋषि-मुनियों पर भी राजा आतंक मचाते, राक्षस आक्रमण करते, घाणी में पेला जाता । वे हँसते-हँसते घाणी में जुत जाते, मर भी जाते, फिर भी अपने धर्म पर, अपने ईश्वरीय भाव पर अडिग रहते। सभी को जीने का अधिकार है। आतंकवाद से सामना करना विश्व के लिए चुनौती बन चुका है। ख़ास तौर से जब चारों ओर इतने अधिक अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण हो गया है तब यही कहने में आता है कि दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है। एक अणुबम से शहर के शहर तबाह किए जा सकते हैं । रासायनिक गैसों से हजारों आदमियों की जानें ली जा सकती हैं। ऐसे हथियार जब आतंकवादियों, उग्रवादियों के पास पहुंच चुके हों तब उन लोगों को अहिंसा, शांति और प्रेम के मार्ग पर लाना संसार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, असंभव-सा कार्य है। ___ हम सभी सुरक्षित जीवन जीना चाहते हैं, कोई ख़तरा नहीं उठाना चाहते। साँप के बिल में कौन हाथ डाले ? तब यह ज़रूर कहा जाता है कि हम अहिंसा २८८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003880
Book TitleMahavir Aapki aur Aajki Har Samasya ka Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages342
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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