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इस तरह का यह जो नियम लेना हुआ, वह कहलाता है प्रत्याख्यान । बाई चांस, अगर आप रात का भोजन नहीं छोड़ सकते, तो सुबह के लिए यह नियम ले सकते हैं कि रात को १२ बजे के बाद खाना-पीना बंद , सूर्योदय के बाद भोजन
लूँगा । यह भी नियम हुआ। अथवा आज चतुर्दशी है या बड़ी पूनम है, आज मैं शील-व्रत का पालन करूँगा, यह भी त्याग हो गया। यह भी प्रत्याख्यान हो गया।
जीवन मर्यादाओं से बँधा होना चाहिए । सागर भी अपनी मर्यादा में रहता है, हम भी मर्यादा में रहें। मर्यादा ही धर्म है, व्रत है, त्याग है, तपस्या है। ये छह कर्त्तव्य, छह नियम जो भी अपनाता है, वह निश्चित तौर पर मुक्ति-पथ पर आगे बढ़ता है। नॉन-स्टॉप बढ़ता है।
जागे तभी सवेरा । छह नियमों को ग्रहण करते ही जीवन में सूर्योदय हो जाएगा, सवेरा हो जाएगा।
प्रेमपूर्वक इतना ही अनुरोध है। नमस्कार !
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