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सेमुक्त हों अन्तर्मनके
घेरों से
न्यायालय में एक संत पर चोरी के अभियोग की सुनवाई चल रही थी। न्यायाधीश चोर को कठघरे में खड़ा देखकर आश्चर्यचकित थे। उन पर लगाए गए अभियोग और लाँछन उन्होंने सुने तो और अधिक आश्चर्य हुआ। क्योंकि उन्होंने कुछ टूटी-फूटी हँडिया, पुराने घिसे हुए झाड़ और फटी हुई दरियों की चोरी की थीं। न्यायाधीश को यह देख-सुनकर आश्चर्य हुआ कि कोई व्यक्ति आवश्यकता आ जाने पर चोरी कर सकता है, पर फटी हुई दरियाँ और घिसे हुए झाड़ओं की चोरी ! जब न्यायाधीश ने संतप्रवर से पूछा - क्या आपने चोरी की ? संतप्रवर ने बिना झिझक के तुरंत स्वीकार कर लिया कि उन्होंने चोरी की है। गवाह ने भी बता दिया कि चोरी की है।
___ संत को एक माह की कैद की सजा सुनाई गई। संत मुस्कुरा रहा था मानो अपने कार्य में, अपने लक्ष्य में सफल हो गया । मुस्कुराते हुए वह कारागार की ओर बढ़ा । न्यायाधीश को थोड़ा अटपटा लगा, संत का अंदाज़ भी रहस्यमय प्रतीत हुआ। वह कारागार में संत से मिलने गया और कहा - मुझे समझ में नहीं आ रहा कि आप और चोरी करें! आपको ऐसी कौनसी चीज़ की ज़रूरत आ पड़ी कि आपको चोरी करना पड़ी। एक माह बाद तो आप छूट जायेंगे, आपके सामने समस्याएँ होंगी तो क्या फिर पुनः आप चोरी करेंगे? मैं नहीं चाहता कि
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