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नुकसान हुआ, आँतें गलीं तब व्यक्ति को अपने शरीर के साथ ही नरक भोगना पड़ गया। किसी जीव की हत्या की तो परिणाम भी इसी जन्म में मिल जाएगा कि किसी दिन तुम सड़क पर चल रहे थे कि किसी ने टक्कर मार दी, तुम गिर पड़े, दो-चार हड्डियाँ टूट गईं। तुम्हें फल मिल गया। आज तुमने किसी का वध किया, कल कोई और तुम्हारा वध करेगा। आज तुमने किसी को गाली दी, कल कोई और तुम्हें गाली देगा। आज तुमने किसी का अंग-छेद किया, कल कोई और तुम्हारा अंगछेद करेगा। स्वर्ग-नरक, पाप-पुण्य, इनके फल हमारे साथ ही हैं। प्रकृति लौटाती है। जैसा करोगे, प्रकृति वापस वैसा ही लौटाएगी । तुम्हारा हर कृत्य एक बीज है। बीज एक बोते हो, पर फल उससे कई निकलते हैं । कृत्य करते समय सावधानी बरतो, नहीं तो बाद में फलों को काटते या भोगते हुए कष्ट का सामना करना पड़ेगा ।
संत तिरुवल्लुवर ने एक उदाहरण दिया है। किसी ने उनसे पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम पूछा तो उन्होंने सामने से जाती हुई डोली को देखकर कहा - यही है पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम कि डोली को चार व्यक्ति उठाकर ले जा रहे हैं और उस डोली में एक व्यक्ति आराम से बैठा है । यह अधर्म का फल है कि चार व्यक्तियों को कहार बनकर भार ढोना पड़ रहा है और एक व्यक्ति मालिक बना हुआ आनन्द ले रहा है। इसलिए कि उसने पूर्व जन्म में अच्छे कर्म किए थे। धर्म का यह मानना है कि व्यक्ति का इस जनम के साथ भी संबंध है और पूर्व जन्म के साथ भी सम्बन्ध है । इस जन्म के अच्छे और बुरे फल भी उसे मिलते हैं और पूर्व जन्म के अच्छे और बुरे फल भी उसे मिलते हैं। ध्यान रहे कुछ कर्मों का फल अगले जनम तक जुड़ा रहता है । जैसे व्यवसाय में धन लगाया तो उसका परिणाम जल्दी मिल जाता है लेकिन बैंक में फिक्स डिपॉजिट कर देने पर जितने समय की एफ. डी. की है उतने समय बाद परिणाम मिलता है। कर्म किस तरह के होते हैं यह सब उसकी गहराई पर निर्भर करता है।
हमें यह सोचने की बजाय कि हमारे कर्मों का परिणाम अगले जन्म में मिलेगा यह सोचना चाहिए कि इसी जन्म में हमारे कर्मों का परिणाम मिल जाएगा ताकि हम कर्म को करते समय सावधानी रखें। हमसे हर कर्म कम-सेकम गलत हो । हमारे द्वारा नैतिकता, मर्यादा का सम्मान हो । गलत काम, गलत
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