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________________ विश्वास ही मेरे अपने जीवन की ताक़त है। मैं जो कुछ आप लोगों से कहता हूँ वो मेरी बातें मेरी अंतरात्मा की प्रेरणाएँ हैं और अंतरात्मा की प्रेरणाओं के पीछे ईश्वरीय प्रेरणाएँ काम किया करती हैं। अपने आप पर होने वाला विश्वास ही आपको आपकी ओजस्विता का अहसास कराता रहेगा । बग़ैर ओजस्विता के तो इंसान हार की ढलान पर फ़िसलता रहेगा । आप अपने आप को उत्साह, उमंग और ऊर्जा से भरिए और जीवन की सफलता तथा धन्यता के लिए प्रयत्नशील हो जाइए। दुनिया की सारी ख़ुशियाँ तुम्हारे लिए हैं। 'ख़ुश रहो, हर ख़ुशी है तुम्हारे लिए । ' 1 ख़ुशियों को पाने की सही वज़ह यही है : जीओ शान से, शुरुआत मुस्कान से । आपकी मुस्कान ही आपकी जीवन्तता की पहचान है । ज़िंदे और मुर्दे में यही तो फ़र्क़ है कि मुर्दा लटक सकता है पर ज़िंदा मुस्कुराते हुए मस्तक ऊँचा कर सकता है । अपने जीवन का उपयोग कीजिए, उस हर अवसर का जो आपको सुख, सुकून और ख़ुशियाँ दे सके। रुडयार्ड किपलिंग की इन पंक्तियों को सदा याद रखिए –यदि तुम कभी लौटकर न आने वाले इस एक मिनट के साठ सैकेंड सार्थक कर लेते हो तो यह समूची धरा तुम्हारी है; इस धरा पर विद्यमान सभी कुछ तुम्हारा है। विश्वासपूर्ण ज़िंदगी के लिए, अपने हर आज को सार्थक बनाने के लिए कुछ बातें निवेदन कर रहा हूँ, जिन्हें अपने जेहन में उतार लें और इनसे प्रेरणा भी लेते रहें जो 1. — हुआ, किसी-न-किसी दृष्टि से अच्छा ही हुआ । जो हो रहा है वह भी अच्छा ही हो रहा है। जो होगा वह भी अच्छा ही होगा । 2. मैं अपने जीवन का सम्मान करूँगा । शरीर से व्यायाम भी करूँगा और इसका पोषण भी। न मैं इसका दुरुपयोग करूँगा और न ही इसकी उपेक्षा। 3. मैं अपने मन-मस्तिष्क की शांति, स्वस्थता और प्रसन्नता पर ध्यान दूँगा। गुस्सा और आवारागर्दी नहीं करूँगा । मस्तिष्क की समृद्धि के लिए कुछ ऐसा भी पढूँगा जिससे मेरे प्रयास और विचार प्रभावशाली हो । 4. आज के दिन में अच्छा रहूँगा, अच्छा पहनूँगा, अच्छा व्यवहार करूँगा । धैर्य और विनम्र स्वर में बात करूँगा । औरों की प्रशंसा में उदारता बरहूँगा । दूसरों की कमियों पर टिप्पणी नहीं करूँगा । 136 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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