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________________ नेत्रहीन होकर भी महान् संगीतकार बन सकता है। अभिनेत्री सुधा चन्द्रन का नाम तो आपने सुना ही है। उसके दोनों पाँव नहीं हैं फिर भी वह कुशल नृत्यांगना है। दोनों पाँव कट जाने के बावजूद भी उसने हिम्मत नहीं हारी और कृत्रिम पाँवों से जयपुर फुट के सहारे नृत्य सीखा और अपने आपको स्थापित किया। नृत्य सीखते समय उसके घुटने छिल-छिल जाते थे, खून बहने लगता था, लेकिन असह्य दर्द के बावजूद उसने नृत्य सीखा और जयपुर के रवीन्द्र मंच पर ही ऐसी पहली बेहतरीन प्रस्तुति दी कि कोई जान भी न पाया कि उसके पैर कृत्रिम हैं। भरत-नाट्यम् प्रस्तुत करके उसने बता दिया कि मज़बूत मन के साथ यदि व्यक्ति कोई भी काम करना चाहे तो उसे कामयाबी ज़रूर हासिल हो सकती है। एक सजन और हैं जिनके दोनों हाथ कट चुके थे। ऐसे जवान अपंग की परिवार में क्या हालत होती है, यह आप समझ सकते हैं। अपमान, तिरस्कार और निराशा से भरा हुआ वह युवक आत्महत्या के इरादे से ट्रेन की पटरियों पर जाकर लेट गया। ट्रेन आने में समय रहा होगा कि उसके मन में विचार चलने लगे। उसकी आत्मा ने उसे झकझोरा कि उसका जन्म क्या यूँ ही मर जाने के लिए, आत्महत्या करने के लिए हुआ है ? उसके दोनों हाथ नहीं हैं तो क्या हुआ, उसके पाँव तो सलामत हैं ! इन्हीं पाँवों के बल पर वह फिर उठ कर खड़ा हो सकता है। उसने संकल्प किया और चल पड़ा। रास्ते में एक ग्वाला मिला जो दूध बेचने जा रहा था। उसने विनती की कि वह उसे चार किलो दूध उधार दे दे, वह बेचेगा। ग्वाले ने आश्चर्य से कहा, 'पर कैसे?' युवक ने कहा, 'हाथ नहीं हैं तो क्या हुआ, कंधे तो हैं।' दोनों कंधों पर दो-दो किलो की थैलियाँ लटका दो।' ग्वाले ने उसका आत्मविश्वास देखकर उसकी सहायता की और दोनों कंधों पर दो थैलियाँ टाँग दी। युवक चल पड़ा, दूध बेच-बेचकर उसने भैंस खरीद ली। धीरे-धीरे उसका व्यवसाय बढ़ने लगा और अब वह एक डेयरी का मालिक है और आठ-दस लोग उसके काम में हाथ बँटाते हैं। ___ हाल ही में एक पिक्चर रिलीज़ हुई है : ब्लैक। भाई श्री संजय जी, लीला भंसाली ने बनाई है। अद्भुत फिल्म है यह। मैं ऐसी सुन्दर फिल्म के लिए संजय जी का अभिनन्दन करता हूँ। आज की कचरा-छाप फिल्मों में यह फिल्म एक आदर्श है। अगर मेरे हाथ में होता तो मैं इस सुन्दर कार्य के लिए | 123 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003879
Book TitleGhar ko Kaise Swarg Banaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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