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कमज़ोर शरीर और मज़बूत मन तो चल जाएगा, लेकिन कमजोर मन और बलिष्ठ शरीर किसी काम का न रहेगा। जीवन के विकास के रास्ते शरीर से नहीं, मन से तय होते हैं। कसरती शरीर वाले देखें कि शरीर को मज़बूत करने के साथ ही क्या वे मन को भी मज़बूत बना रहे हैं? जीवन में कामयाबी के लिए चेहरे की सुन्दरता तो 15 प्रतिशत उपयोगी है, जबकि मज़बूत मन तो 85 प्रतिशत कारगार हुआ करता है। मन की मज़बूती से तो इंसान बड़े-से-बड़े रोग को, बड़ी-से-बड़ी बाधा को, अपाहिज हो चुकी जिंदगी को भी जीत सकता है। ____ मुझे याद है, एक युवती जिसकी उम्र मात्र उन्नीस वर्ष थी, तब उसकी माँ की मृत्यु हो गई और छ: माह बाद ही उसके पिता भी चल बसे। उसके चाचा-चाची ने उसकी शादी की और डेढ़ वर्ष बाद ही उसका पति एक बेटी देकर दर्घटना में मारा गया। ससुराल वालों ने उसे मनहूस कहकर उसका तिरस्कार किया और उसे घर से बाहर निकाल दिया। उस युवा स्त्री ने स्वयं जीने के लिए तथा बच्ची के पालन-पोषण के लिए प्राइवेट स्कूल में चपरासी की नौकरी स्वीकार कर ली।आजीविका कमाने के साथ ही विकट परिस्थितियों में उसने अपनी पढ़ाई भी शुरू की। उसने इंटर से आगे की भी पढ़ाई की। बी.ए. किया तीन साल में और उसे टीचर की नौकरी मिल गई। उसने पढ़ाई जारी रखी और एम. ए. किया। हाई स्कूल में उसकी पदोन्नति हो गई। धीरेधीरे उसने पी.एच.डी भी कर ली और कॉलेज में लेक्चरार हो गई। उस महिला का पुनर्विवाह भी हो गया। आज उसके दो बच्चे हैं। कल्पना कीजिये कि अगर वह अपने को निराश कर लेती तो शायद आत्महत्या ही करती। मन को मज़बूत बनाकर, आत्म-विश्वास के सहारे आज वह महिला सम्मानपूर्वक जीवन जी रही है।
कन्या का जन्म लेना कोई अभिशाप नहीं है और न ही स्त्रीजाति इससे कमज़ोर होती है। अपाहिज और विकलांग भी अपने मन को अपाहिज और विकलांग न होने दें। जीवन में महान् लोगों को आदर्श बनाएँ और जीवन में कुछ-न-कुछ कर दिखाने का जज़्बा संजोकर रखें। अपनी ग़रीबी का अफ़सोस मत कीजिए। पाँव में जूते नहीं हैं तो मन छोटा मत कीजिए क्योंकि दुनिया में हज़ारों लोग ऐसे हैं जिनके पाँव ही नहीं हैं। आज यदि आपके पास खाने को
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