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कैसे दें रोगों को मात
स्वस्थ रहना जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। स्वास्थ्य शांति और समृद्धि का आधार है। जैसा तन होगा वैसा ही मन होगा। इसे विपरीत भी कहा जा सकता है कि जैसा मन होगा वैसा तन होगा। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन का निवास होता है और एक स्वस्थ मन ही स्वस्थ तन का आधार होता है। मानसिक रूप से सदा चिंतित रहने वाले का ब्लड प्रेशर हाई और लो होता रहता है। जो चिड़चिड़े और गुस्सैल स्वभाव के व्यक्ति होते हैं, उनके हार्ट में जब तब दर्द उठ आता है। मानसिक तनाव जीवन में सभी रोगों का कारण बनता है। इसके विपरीत अगर मन में प्रेम, शांति, आनन्द और मुस्कान भाव रहे, तो तन की 80 प्रतिशत बीमारियाँ अपने आप ही कट जाती हैं।
देह की स्वस्थता के लिए दिमाग़ और मन की स्वस्थता अनिवार्य है। हमारा जीवन वीणा के तारों की तरह है जिन्हें यदि संतुलन के नियम के आधार पर चलाया जाए तो वीणा के तार अद्भुत सुकून और संगीत दे सकते हैं। तारों को अधिक कस दिया जाए तो कर्कश संगीत-ध्वनि निकलेगी और ढीला छोड़ 104
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