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________________ एक बहिन मुझे बता रही थी, 'जब भी मुझे गुस्सा आता है मैं सीधा अपने बच्चों पर हाथ उठाती हूँ और ताबड़तोड़ उनकी पिटाई कर देती हूँ।' मैंने पूछा, 'फिर क्या करती हो?' वह कहने लगी, उसके बाद मुझे अफसोस होता है और मैं रोती हूँ। रोज ही ऐसा होता है कि बच्चों की पिटाई और मेरा रोना दोनों एक साथ चलते हैं। वास्तव में यह क्षणिक संवेग है। बच्चों को पीटना क्रोध का प्रकटीकरण है जबकि उसके बाद रोना अपनी गलती का अहसास है। व्यक्ति ऐसी गलतियाँ बार-बार इसलिए करता है क्योंकि उसका स्वयं पर अंकुश नहीं है। सच तो यह है कि क्रोध तूफान की तरह आता है और हमें चारों ओर से घेर लेता है। हम विवेकशून्य होकर गाली-गलौच या हाथा-पाई भी कर लेते हैं और इस तरह हम क्रोध के तूफान में घिर जाते है। क्रोधी आदमी कीड़े, मकोड़े और बिच्छू तक को मार देता है, पर अपने ही भीतर पलने वाले क्रोध को क्यों नहीं मार पाता? मनुष्य अपने जीवन में मूलतः चार वृत्तियों में जीता है और वे हैं- काम, क्रोध, माया और लोभ । मेरे देखे इनमें से काम, माया और लोभ की वृत्तियाँ तो मनुष्य को आंशिक लाभ और सुख भी देती है लेकिन क्रोध एक ऐसी वृत्ति है जिसमें व्यक्ति खुद भी जलता है और दूसरों को भी जलाता है। हकीकत तो यह है कि क्रोधी व्यक्ति अपने भीतर और बाहर एक ऐसी आग लगाता है जिसमें वह औरों को जलाने की कोशिश करता है पर उसे बाद में पता चलता है कि इससे वह औरों को जला पाया या न जला पाया पर खुद तो पहले ही झुलस गया। क्रोध में जलना तो तूली की तरह है जिसे दूसरों को जलाने के लिए पहले स्वयं को जलना होता है। क्रोध एक : नुकसान अनेक मैं कई बार सोचा करता हूँ कि क्या धरती पर कोई ऐसा मनुष्य है जिसने अपनी जिन्दगी में कभी क्रोध न किया हो? ऐसे ब्रह्मचारी साधक तो मिल जाएँगे जिन्होंने कभी काम का सेवन नहीं किया हो पर 'क्रोध' तो 'काम' विजेताओं पर भी विजय प्राप्त कर लेता है। सच्चाई तो यह है कि जब आप क्रोध के नियंत्रण में होते हैं तो स्वयं का नियंत्रण खो देते हैं। सावधान ! एक पल का क्रोध आपके पूरे भविष्य को बिगाड़ सकता है। जिन संबंधों को 45 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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