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________________ क्रोध पर कैसे काबू पाएँ ? सावधान ! दो मिनट का क्रोध भी हमारे मधुर सम्बन्धों में जहर घोल सकता है। मनुष्य के जीवन में दुःख के दो कारण होते हैं । पहला कारण है: अभाव, आपदा अथवा संयोग और दूसरा कारण है: व्यक्ति स्वयं । दूसरे के व्यवहार और स्वभाव के कारण उसके जीवन में जो दुःख आते हैं उनको रोक पाना मनुष्य के हाथ में कम है, लेकिन अपने ही व्यवहार और स्वभाव के कारण आने वाले दुःखों पर मनुष्य विजय प्राप्त कर सकता है । अपने ही व्यवहार और स्वभाव के कारण मनुष्य दुःखों को पाता है जिसमें मुख्य कारण है मनुष्य के व्यवहार और स्वभाव में पलने वाला क्रोध । क्षणिक संवेग है क्रोध क्रोध हमारे भीतर उठने वाला एक ऐसा संवेग है जो क्षणभर में जगता है और क्षणभर में शान्त हो जाता है । मनुष्य अपने होश- हवास खोकर कुछ समय के लिए एक ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है । जहाँ वह क्रोध के वशीभूत होकर अपनों और परायों दोनों को नुकसान पहुँचाता है। मैंने इसे क्षणिक संवेग इसलिए कहा क्योंकि कई बार एक पल के लिए व्यक्ति आवेश और आक्रोश में आकर कोई भी निर्णय या कार्य कर बैठता है, पर कुछ पल के बाद ही आत्मविवेक जगने पर उसके हाथ में पश्चात्ताप के अलावा कुछ भी नहीं बचता । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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