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________________ किया, इन्हीं सब बातों के तनाव और चिंता के कारण उसकी अनिद्रा बढ़ती चली गई। ___ संबंधों में जब ज्यादा अपेक्षा पाल-ली जाती है और जब वे अपेक्षाएं पूर्ण नहीं होती हैं तो हम तनावग्रस्त हो जाते हैं। हमें प्रत्येक व्यक्ति और उसके व्यवहार को सहजता से लेना चाहिए, अगर कोई हमारे काम आए तब भी और न आए तब भी। मेरे सामने दो तरह की घटनाएँ हैं। एक बहिन अपनी देवरानी की यह कहकर जमकर आलोचना कर रही थी कि जब उसकी डिलेवरी हुई तो मैंने दो महीने तक पल-प्रतिपल उसकी सेवा की लेकिन वह इतनी खुदगर्ज निकली कि मैं कुछ दिनों के लिए पीहर चली गई तो वह दस दिन भी मेरे बच्चों को प्रेम से खाना नहीं खिला सकी। वहीं कल आगरा की एक बहिन बता रही थी कि उसके पाँव की हड्डी टूट गई थी पर उसकी देवरानी ने इतनी सार-संभाल की कि वह उसकी कर्जदार हो गयी। वह कहने लगी, 'मेरी बेटी भी ऐसी सेवा नहीं कर सकती जैसी उस देवरानी ने की।' मैंने देखा कि देवरानी की तारीफ करते-करते उस महिला की आँखें भर आई थीं। सावधान रहें! दुनिया में दोनों तरह के लोग होते हैं। कुछ आपके जीवन में मददगार बनते हैं तो कुछ आपके जीवन-विकास में बाधक भी होते हैं। जो आपके काम आए उससे तो प्रेम करें ही, पर उससे भी प्रेम करें जो आपके काम नहीं आ रहा है, शायद आपका प्रेम उसे काम आने लायक बना दे। दें, मन को विश्राम नींद लेने के लिए शांत वातावरण की जितनी जरूरत होती है उससे भी कहीं ज्यादा जरूरत मानसिक शांति की होती है अन्यथा वह वातावरण की शांति और अधिक मानसिक अशांति पैदा कर देती है। यदि आपको नींद नहीं आती है तो सीधे लेटे रहें। शरीर को ढीला छोड़ दें और जीवन की किसी अच्छी घटना या स्मृतियों के बारे में सोचें ताकि अन्य चिंताओं से उबर सकें। अनिद्रा से बचने के लिए आप सदैव शांत व प्रसन्नचित्त हृदय से 'बेडरूम' में जाएँ और सावधान रहें ! चिंता, भय और तनाव नींद के शत्रु होते हैं। बिस्तर पर जाने के बाद दिनभर के काम-काज के झमेले को याद न करें। जो लोग रात 39 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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