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________________ के कार्यों को याद करके बोझिल होता है और उस पर उन कार्यों की चिंता सवार हो जाती है अथवा एक ही कार्य को बार-बार करने से व्यक्ति ऊब जाया करता है। विशेषकर घरेलू काम-काज करने वाली महिलाएँ इस परिस्थिति से गुजरती हैं। वे घर के काम काज में इस वातावरण को समझ नहीं पाती अथवा कार्यों को व्यवस्थित सम्पादित नहीं कर पाती इसलिए वे ऊब जाया करती हैं। कई बार 'वर्क लोड' ज्यादा होने पर वे यही सोचने लगती हैं, क्या सारे कार्यों का ठेका मैंने ही ले रखा है.? यह सोच कर महिलाएँ कार्य को बेमन से करती हैं। परिणामस्वरूप वह कार्य भारभूत भी होता है और चिंता देने वाला भी। अच्छा होगा कि वे महिलाएँ घर के कार्य को अपना कर्त्तव्य समझते हुए बड़प्पन दिखाएँ और क्रमशः एक-एक कार्य को सम्पन्न करें। दिन में दो-तीन बार शरीर को आराम भी दें। दीपावली या अन्य किसी त्यौहार के मौके पर घर की सफाई के नाम पर एक साथ सारे काम हाथ में न उठाएँ। वे महिलाएं अपने घर में सदैव दीवाली मनाती हैं जो केवल दीवाली के मौके पर ही घर की साफ-सफाई नहीं करतीं अपितु बारहों महिने इसके प्रति सजग रहा करती हैं। भरोसा रखें भवितव्यता पर अगर लगे कि आप किसी बात को लेकर बार-बार तनावग्रस्त हो रहे हैं तो अच्छा होगा कि उसे आप भवितव्यता पर छोड़ दें और स्वयं को किसी भी सृजनात्मक कार्य में जोड़ दें क्योंकि खाली बैठने से हमारा मन व्यर्थ की चिंताओं के प्रति ज्यादा आकर्षित होता है। अपने द्वारा या परिवार के अन्य किसी सदस्य के द्वारा किसी प्रकार की गलती हो जाए या काम बिगड़ जाए तो उसको अधिक तूल न दें। माफी मांग लें, माफ कर दें और उसे भूलने की कोशिश करें। चिंता के शारीरिक रूप से भी जबरदस्त प्रभाव पड़ते हैं। हमारी मानसिक अवस्था और पाचन शक्ति का गहरा संबंध है। ज्यादा चिंता करने वाले व्यक्ति की पाचनशक्ति बिगड़ती है और भोजन हजम नहीं होता। चिंतातुर व्यक्ति का दिमाग ही तनावग्रस्त नहीं रहता अपितु पेट भी तनावग्रस्त रहता है। 37 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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