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________________ पुनः किया जाने वाला चिंतन व्यक्ति के मनोमस्तिष्क में तनाव भर देता है। चिंता तो चक्रव्यूह है, अभिमन्यु की तरह हम इसमें प्रवेश करना तो जानते हैं पर इसमें से बाहर निकलना नहीं जानते । रात में सोये तो सुबह की चिंता, सुबह जागे तो दिन की चिंता, दोपहर में शाम की चिंता। चिंता का यह रोग मनुष्य को दिन में सुख की रोटी और रात में चैन की नींद नहीं लेने देता। चिंता और तनाव जब मन में समा जाते हैं तब व्यक्ति मनोरोगी भी हो जाता है। व्यक्ति चिंता से इतना ग्रस्त हो जाता है कि सारी सुख-सुविधाएँ भी उसे संतुष्ट नहीं कर पातीं। वह नींद की गोली लिये बिना सो ही नहीं सकता। मैं देखा करता हूँ कि लोग व्रत-उपवास करते हैं और दूसरे दिन जब व्रत खोलेंगे तब क्या खाएँगे, यही सोचा करते हैं। आज व्रत किया है लेकिन, कल के भोजन की चिंता कर रहे हैं। अरे, जब कल आएगा तब ही सोचना न; अभी से क्यों चिंता कर रहे हो? । __ अंतर्मन में पलने वाली बेवजह की चिंताएँ तनाव की जड़ हैं। क्रोध तो हमारे संबंधों को कमजोर करता ही है पर चिंता हमारी देह के साथ दिमाग को भी कमजोर करती है। चिता व्यक्ति को एक बार जलाती है लेकिन चिंताग्रस्त व्यक्ति जीवन में बार-बार मरने को मजबूर होता है। यही वह चिंता है जो धीरे-धीरे हमारे मनोमस्तिष्क को अवरुद्ध कर देती है। जैसे घुन गेहूँ को भीतर ही भीतर खाकर खत्म करती है ऐसे ही चिंता हमें खोखला बना देती है। व्यक्ति छोटी-छोटी बातों को लेकर चिंतित होता है पर, दुनिया में कोई भी चिंता किसी समस्या का समाधान नहीं बनी है। अगर हम समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं तो चिंता की बजाय चिंतन को अपने जीवन में स्थान दें। चिंता जहाँ हमारी मानसिक क्षमता को अवरुद्ध करती है, वहीं चिंतन उसे प्रखर करता है। तनाव और चिंता यकायक हों तो आदमी उससे छुटकारा भी पा सकता है लेकिन ये अंगुली पकड़कर आते हैं, और धीरे-धीरे हमारे, तन-मन को अपने आगोश में समेट लेते हैं। तनावग्रस्त व्यक्ति की स्थिति वैसी ही हो जाती है जैसी जाले में फंसी मकड़ी की। जिसने जाला भी खुद बनाया और फँसी भी खुद। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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