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________________ चिंता, ईर्ष्या, बुरे विचार और इनसे पैदा हुई बुरी तरंगें हमारे पेट और आंतों के रोगों को जन्म देती हैं वहीं स्वस्थ विचार हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं और स्वास्थ्य लाभ देते हैं। अच्छे विचार का परिणाम जहाँ अच्छी तरंगे, प्रसन्नचित्त मन तथा निरोगी जीवन होता है, वहीं बुरे विचार का परिणाम रोगी मन, बुरी तरंगे, दुःखी तथा रुग्ण जीवन ही निकलता है। निवारण से पहले समझें कारण तनाव क्यों होता है, यह जानने से पहले यह समझें कि तनाव क्या है? किसी एक बिंदु पर निरंतर व व्यर्थ का किया जाने वाला चिंतन जब चिंता का रूप धारण कर ले, मस्तिष्क में स्थान बना ले, इस स्थान बनाने का नाम ही तनाव है। जब कोई व्यक्ति किसी एक बात विशेष पर अपने क्षुद्र अहंकार के चलते बार-बार नकारात्मक सोच रखता है तब तनाव की स्थिति निर्मित होती है। ___ तनाव से घिरा हर व्यक्ति जानता है कि तनाव में जीना बुरा है पर तनाव को छोड़ पाना क्या हर किसी के हाथ में है? बुद्धि मारी जाती है जब व्यक्ति तनावग्रस्त होता है और बुद्धि का उपयोग करके ही व्यक्ति इस चक्रव्यूह से बाहर निकल सकता है। कैसे बचें तनाव से, इस पर हम कुछ समझें, उससे पहले उन कारणों को समझना जरूरी होगा जिनके कारण तनाव जन्मता है। भले ही हम तनाव के उपचार के लिए किसी चिकित्सक के पास चले जाएँ लेकिन कोई भी न्यूरोफिजिशियन इसका समूल समापन नहीं कर पाता है। डॉक्टर दवाइयाँ देता है पर वे दवाइयाँ तनाव-मुक्ति की नहीं होती, नींद की होती है। निद्रा में हमारा मस्तिष्क अक्रियाशील हो जाता है, उसे थोड़ी सी राहत भी मिलती है पर फिर से छोटा-सा निमित्त पाकर तनाव हम पर पुनः हावी हो जाता है। तोड़ें, चिंता का चक्रव्यूह तनाव का प्रमुख कारण है- चिंता। चिता की दहलीज पर व्यक्ति एक बार जलता है पर चिंता की दहलीज पर वह जीवन भर जलता रहता है। किसी सार्थक, सकारात्मक, विधायात्मक बिंदु पर किया गया चिंतन और मनन तो व्यक्ति को सार्थक परिणाम देता है किंतु निरर्थक, नकारात्मक बिंदु पर पुनः Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003878
Book TitleKaise Sulzaye Man ki Ulzan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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