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________________ होंठों के सहज गुलाबीपन में छिपा होता है, वह लिपस्टिक की कृत्रिमता में कहां है ! हमारी कृत्रिम हंसी हमें बेवकूफ ही सिद्ध करेगी, वहीं हमारी सहज मुस्कान हमारे व्यक्तित्व के आकर्षण का केंद्र बन जाएगी। ज्यादा बन-ठनकर रहना, अपनी बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना कोढ़ के रोग पर कोट - पतलून पहनना है । जैसे छिपाकर रखा गया कोढ़ कभी-न-कभी तो प्रकट होता ही है, क्या यही हश्र कुटिलता और कृत्रिमता का नहीं होगा ? 1 जीवन में यदि सुख-शांति का स्वामी होना है, तो हम जीवन को बड़ी सहजता से लें । जीवन के हर कार्य की प्रस्तुति बड़ी सहजता से हो। औरों के द्वारा की जाने वाली हर टिप्पणी को हम बड़ी सहजता से लें। आत्मवान पुरुष वही है, जो किसी के द्वारा की गई उपेक्षा और अपमान के बदले में भी सहज रहता है, अपनी सौम्यता को बरकरार रखता है । गीत के बदले में गीत हर कोई गुनगुनाता है, पर यदि तुम गाली के बदले में भी अपने गीत को जीवित रख सको, तो यह तुम्हारी आत्मविजय है । प्रेम के बदले में प्रेम देना आम है, पर जो क्रोध के बदले में भी करुणा की कोमलता दर्शाता है, उसी के जीने में मजा है । हम अगर कर सकें, तो अपने मित्रों की भूलों को माफ करें। जो हमें अपना शत्रु मानते हैं, हम उनके प्रति सद्व्यवहार की मिसाल कायम करें । सहज मिले अविनाशी बड़ा प्रसिद्ध संदेश है - साधो, सहज समाधि भली । समाधि का रहस्य ही सहजता में छिपा हुआ है । हम जीवन को जितनी सहजता से लेंगे, तनाव और चिंता से उतने ही बचे हुए रह सकेंगे। योगी लोग तो हिमालय की कंदराओं में बैठकर समाधि को साधते होंगे, पर मैं तो यह कहूंगा कि हम अगर इस एकमात्र सहजता को आत्मसात् कर लें, तो समाधि स्वतः हमारी सहचर रहेगी । हो-हल्ला, ढोल-ढमाका और माइकों पर जोर-शोर से मंत्र - पाठ करने वालों को भला कभी भगवान मिले हैं ? मीरा की पंक्तियां कितनी प्यारी हैं - 'सहज मिले अविनाशी' । Jain Education International 90 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003877
Book TitleJiye to Aise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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