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किसी पद पर बैठने से व्यक्ति कभी बड़ा नहीं होता, किसी बड़े पद के कारण आदमी भले ही बड़ा कहला ले, लेकिन पद से नीचे उतरते ही हम अच्छी तरह जानते हैं कि उसकी कीमत कितनी रहती है। जिसमें आदमियत है, जिसका अपना गुण-वैशिष्ट्य है, वह कभी पद से नहीं, वरन् पद ही उससे गौरवान्वित होता है। हम किसी को देखकर अपने आपको छोटा, तुच्छ या हीन मानने की बजाय आत्मविश्वास की उस अलख को जगाएं, जो हमें अन्य आगे बढ़ते हुए लोगों से और आगे बढ़ा सके कुछ नया और मौलिक कर दिखाने का मार्ग बता सके। आज व्यक्ति की पहली आवश्यकता ही उसके खोए हुए आत्मविश्वास को लौटाने की है। भला जिसे अपने आप पर ही विश्वास नहीं, वह दुनिया में क्या कर पाएगा ! वह मात्र दब्बू बनकर रह जाएगा। हम बंध्या का जीवन न जीएं। हमें अपनी ओर से कुछ नया ईजाद करना है। हम आत्म-विश्वास को हृदय में प्रतिष्ठित करें और वैसा करने के लिए तत्पर हो जाएं। हृदय में पलने वाली हीनता को हटाना और मन में घर कर चुकी चिंताओं से मुक्त होना जीवन की अस्मिता को प्राप्त करने के प्राथमिक चरण हैं। निर्भयता, निश्चितता और निष्ठापूर्ण जीवन स्वतः ही जीवन को संगीत और सौंदर्य से भर देता है, माधुर्य और आनंद का मालिक बना देता है।
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