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________________ सहानुभूति तो स्वयं में साधुता का एक लक्षण है, अपने आप में पुण्य का चरण है। साधुजनों के प्रति सहानुभूति तो असाधुओं के हृदय में भी जग जाएगी। तुम्हारी साधुता की परिपक्वता तो इसमें है कि तुम अपनी सहानुभूति के पात्र उन्हें बनाओ, जो दीन-दुःखी, रुग्ण या पापी हैं। तुम रावण में भी राम को ढूंढ़ निकालो। संभव है कि तुम्हारी सहानुभूति और साधुता का सौहार्द पाकर उनके जीवन का कायाकल्प हो जाए, उनके तन-मन और परिस्थिति का रूपांतरण हो जाए। जब मां भगवती मदर टेरेसा ने इंसानियत की सेवा के लिए स्वयं को समर्पित किया, तब उनकी स्थिति ऐसी थी कि वे किसी फूलों की बगिया में नहीं, वरन् कंटीली झाड़ियों से घिरे जंगल में खड़ी थीं और लोगों ने उस ममता की देवी पर सैकड़ों इलजाम लगाए, लेकिन वह जानती थीं कि उनकी वास्तविक ज़रूरत उन्हीं को है, जो उन पर इलजाम लगा रहे हैं। सेवा और सहानुभूति का मदर टेरेसा से ज्यादा और कोई जीवंत उदाहरण नहीं होगा। ईसा मसीह के प्रेम और सेवा के सिद्धांतों को अपने जीवन में जीने वाली ऐसी शख्सियत कोई विरली ही हुई होगी। उन्होंने केवल प्यासों को पानी, भूखों को रोटी और नंगों को कपड़े ही नहीं दिए, वरन् उन लोगों की उल्टियों और दस्तों को भी बेझिझक साफ किया, जोकि उसके कट्टर विद्वेषी और विरोधी थे। ओह, क्या हम महात्मा गांधी से कुछ प्रेरणा लेना नहीं चाहेंगे, जिन्होंने शौचालयों को साफ़ करने वाली अछूत जाति को भी हरिजन (हरिभक्त) की संज्ञा दी और छुआछूत के भेद मिटाकर अपनी सहानुभूति की बांहों से सबको एक आंगन में ला खड़ा किया। मैंने तो सुना है कि गांधीजी ने जब भाईचारा और सफाई का अभियान चलाया था, तो उन्होंने किसी बूढ़े हरिजन के घर-आंगन में भी बुहारी लगाई थी। जब किसी बंधु ने उन पर मल-मूत्र का भरा पात्र उड़ेल दिया, तब भी 'हिंदू-मुस्लिम भाई-भाई' के उनके मानवीय अभियान में कोई कमी या कमजोरी नहीं आई। दुनिया में गांधी को न समझा जा सका, इसलिए उनकी हत्या की गई, पर हक़ीकत में गांधी इस नए युग के महावीर थे। 79 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003877
Book TitleJiye to Aise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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