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________________ मनुष्य का सफलता और विफलता के साथ सदा से नाता रहा है, लेकिन इस दौर में ये शब्द इतने उछले हैं कि हर सफलता और विफलता आदमी को पागल कर रही है। सफलता की खुशी को फिर भी काबू किया जा सकता है, मगर विफलता से उपजा पागलपन हदें पार कर जाता है और आदमी अचानक कोई आत्मघाती कदम उठा लेता है। दरअसल उस आदमी को अपने भीतर दबी अकूत क्षमताओं का भान नहीं है। पूज्यश्री कहते हैं कि जीवन की हर असफलता सफलता की ओर बढ़ने की प्रेरणा है। जो असफलता से निराश हो जाते हैं, वे सफलता के शिखर की ओर नहीं बढ़ पाते। हम अपनी हर असफलता को सफलता की मंजिल का पड़ाव भर समझें। 'जिएँ तो ऐसे जिएँ' जीवन के प्रति रहने वाले हर नकारात्मक दृष्टिकोण से मुक्त होने का आह्वान है। हमारे विचार सकारात्मक बनें, हमारी सोच में समग्रता आए, हमारा जीवन आनंद, उल्लास और आत्मविश्वास से भर उठे, यही प्रभुश्री का सार संदेश है। हम हर सूत्र को अपने में गहराई से उतारते जाएँ और टटोलते जाएँ अपने आपको। जब कभी विचारों के भँवर-जाल में उलझा हुआ पाएँ और राह न सूझे, तो फिर-फिर इन अमृत संदेशों से गुजरें। इस उत्साह के साथ कि सुबह करीब है। - सोहन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003877
Book TitleJiye to Aise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPustak Mahal
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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