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स्वभाव बदलें, सौम्यता लाएँ
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व्यक्ति अपने घर और परिवार के वातावरण को ही निर्मल न रख पाए तो वह किसको रख पाएगा? हम किस धर्म और समाज की बात करते हैं? पहले अपने घर की स्थिति तो सुधारें। एक बच्चा जब अट्ठारह साल की उम्र तक आते-आते दो लाख से ज्यादा हिंसा के दृश्य, पचास हजार से ज्यादा बलात्कार, अपराध या सेक्स और उनसे जुड़े दृश्य देख चुका होता है। हम कल्पना करें कि आखिर उस बच्चे पर कैसा प्रभाव पड़ेगा? हम हिन्दी बोलेंगे, वह हिन्दी बोलेगा, हम पंजाबी बोलेंगे, वह पंजाबी बोलेगा। हम अगर घर में लड़ेंगे तो बच्चा लड़ना सीखेगा। हम जैसी फिल्में देखेंगे, हमारे बच्चे भी आखिर वैसे ही बनेंगे। इसलिए हमारे घर पर आने वाले टी.वी. चैनल पर इतना अंकुश जरूर लगना चाहिए जिससे हमारे घर और परिवार का वातावरण गंदा न हो।
हम किसी स्थान-विशेष में ठहरे हुए थे कि तभी एक महानुभाव अपने बच्चों के साथ हमसे मिलने के लिए आए। वे पति-पत्नी हमारे पास बैठे हुए थे। बच्चे गाड़ी में थे और तभी उन्होंने कैसेट चालू किया। कैसेट चल रही थी। कैसेट में ऐसे बेहूदे गीत आ रहे थे कि मुझे नाम लेते हुए भी लज्जा आती है। एक गीत बहुत चर्चित हुआ है और वह भी चोली से जुड़ा हुआ। वही गीत बज रहा था। मैं सुनकर दंग रह गया। मैंने उनसे कहा, 'आप ये किस तरह की कैसेट चलाते हैं ?' उनको कोई जवाब देते न सूझा। उन्होंने सफाई देते हुए कहा, 'साहब, वह तो ड्राइवर की कैसेट है। उसने चला दी होगी।' मैंने कहा, 'आप ड्राइवर भी ऐसा रखते हैं जिसका स्तर इतना घटिया है। बारह साल, चौदह साल के भाई-बहन जब ये कैसेट सुनते हैं कि चोली के अंदर क्या है और चोली के बाहर क्या है और हम समझते हैं कि वे भाई-बहन भी पूरी तरह भाई
बहन रह पाएँ, क्या यह संभव है ?' - हमें किस तरह के गीत सुनने चाहिए, यह तो सोचें। एक ड्राइवर का स्तर
और हमारा स्तर क्या बराबर हो गया ? शायद ड्राइवर अनपढ़ हो, गँवार हो। वह घटिया फिल्में देखता होगा, पर हमारी कार में इस तरह की कैसेट चल जाए और हमें कोई फर्क नहीं पड़े, यही दुःखद आश्चर्य है।
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