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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
उपदेश दे रहे होते हैं कि तभी प्रभव नाम का डाकू अपने पाँच सौ चोरों के साथ उसी जम्बु कुमार के राज-महल पर डाका डालने के लिए आता है। जब प्रभव उस घर पर डाका डालने वाला होता है तो देखता है कि जम्बुकुमार जगा हुआ है और उसकी पत्नियाँ भी जगी हुई हैं। प्रभव सोचता है कि कब ये लोग सोएँ
और कब हम इनके घर पर डाका डालें ? सब लोग छतों पर बैठे होते हैं। जीवन के पुण्य पथ का उपदेश हो रहा होता है। रात गुजर जाती है, सुबह हो जाती है, लेकिन सुबह हो उससे पहले ही प्रभव आत्म-समर्पण कर देते हैं। ____ जम्बु अपने सामने किसी डाकू को आत्मसमर्पण करते देखकर चौंक पड़ते हैं। तब प्रभव बताते हैं, मैं भी कभी राजकुमार रहा था किन्तु गलत लोगों की संगत में पड़ गया। मेरी मित्र-मण्डली खराब थी। नतीजा यह निकला कि मैं शराबी बना। मैंने चोरी करना सीखा, डाका डालना सीखा और डाकू बन गया ! मेरे पिता अर्थात् राजा ने मुझे देशनिकाला दे दिया और मैं डाके डालकर अपना पेट भरने लगा। लेकिन, जम्बु ! रात भर की तुम्हारी संगत, रात भर तुम्हारे होठों से निकलने वाले अमृत वचनों ने मेरे हृदय को इतना बदल दिया कि तुम्हारे एक-एक शब्द मेरे लिए प्रायश्चित के आँसू का कारण बन गए। मुझे अपने किये पर पश्चाताप हुआ और मैंने आत्मसमर्पण कर दिया। हे जम्बु कुमार, जिस पवित्र पथ पर, जिस वैराग्य-पथ पर तुम बढ़ रहे हो, मेरे कदम भी अब उसी पथ की ओर चलेंगे। मैं भी प्रभु के सान्निध्य में पहुँचकर उसी पथ को स्वीकार करूँगा जिसके तुम स्वामी बन रहे हो।'
'महाजनो येन गतः स पंथाः।' महान् लोग जिस रास्ते से गुजरें, वही रास्ता, रास्ता है, वही पथ, पंथ है। अच्छे मित्र व्यक्ति को अच्छा बनाते हैं
और गलत मित्र आदमी को गलत बनाते हैं। इसलिए अपने जीवन में मित्र ज्यादा हैं या कम इसकी चिन्ता न करें। मित्र अच्छे हैं या नहीं, इस बात पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए।
जिन्दगी में पुस्तकें कम हों लेकिन जो हों, वे अच्छी हों। अच्छी पुस्तकें और अच्छे मित्र जीवन में हर कदम पर संकट के सलाहकार बनेंगे। सुख-दुःख
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