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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
कितने युद्ध देखे होंगे। समय ने न जाने अब तक कितनी पराजयों का सामना भी किया होगा। समय ने न जाने अब तक कितनी संस्कृतियों का उत्थान और पतन देखा है। जो राजा-महाराजा अपने महलों को देखकर गुमान किया करते थे, उनके गुमान और गरूरों को भी समय ने नेस्तेनाबूद किया है। कल जो वैभव-सम्पन्न राजमहल कहलाते थे, आज उन्हीं के खंडहर हमारे सामने हैं।
___ समय ने राम का वनवास भी देखा है और द्रौपदी का चीर-हरण भी। समय ने सीता की आँखों में आँसू भी देखें हैं तथा चीर-हरण के समय द्रौपदी के हृदय की पुकार को भी सुना है। समय ने कभी महावीर के कानों में कीलों को भी ठुकते हुए देखा है और जीसस को सलीब पर चढ़ते हुए भी निहारा है। समय हर बात का साक्षी और सूत्रधार है जिसने सत्य को जीने वाले सुकरात को एक बार नहीं दो-दो बार विषपान करते हुए देखा है। यह समय ही है जिसने भक्त कवयित्री को भी ज़हर का प्याला पीते हुए देखा है। उसने यह भी देखा है कि अगर कोई सच्चे हृदय से अपने प्रियतम को याद करे तो ज़हर का प्याला भी अमृत का प्याला बन जाया करता है।
समय तो सबका साक्षी है। पाप सार्वजनिक मंच पर आकर करो या अपने बंद कमरे में, समय भलीभाँति जानता है कि हर पाप एक ज़हर होता है और ज़हर चाहे खुले आम पिएं या बंद कमरे में, जहर तो अपना असर दिखाता ही है। समय सबका द्रष्टा है। हमारे हर पुण्य का भी और हर पाप का भी। हम अच्छा करते हैं तब भी समय जानता है; बुरा करते हैं तब भी समय उसका साक्षी है। समय हर किसी व्यक्ति को उतना लौटा देता है जितना हम अपनी ओर से समय-समय पर सम्पादित करते हैं।
समय परिवर्तनशील है। समय का अर्थ ही परिवर्तन है। समय के अनेक रूप हैं, अनेक अर्थ हैं जिनमें ‘परिवर्तन' समय का मौलिक स्वभाव है। इस सृष्टि का हर तत्व परिवर्तित हो रहा है। अगर दुनिया में कोई चीज नहीं बदलती तो वह स्वयं परिवर्तन है। स्वयं के अतिरिक्त वह हर किसी को बदलता रहता है। क्या हमारे पास कोई ऐसा लेखा-जोखा है कि हमने अब तक कितने परिवर्तन देखे हैं? जिसके माथे पर सफेद बाल उग आए हैं, कभी वे काले ही
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