________________
पहला अनुशासन : समय का पालन
समय ही है। हम भगवान ब्रह्मा की अर्चना इसलिए करते हैं कि वे संसार का सृजन करते हैं। समय ने हमारा सृजन किया इसलिए समय स्वयं ब्रह्मा स्वरूप है। भगवान विष्णु की हम इसलिए पूजा करते हैं कि विष्णु हम सब लोगों का पालन करते हैं। समय ही वह महामहिम है जो कि हम सब लोगों का पालन किया करता है। इसलिए समय में ही विष्णु का तत्त्व समाया हुआ है। महादेव की अर्चना हम इस भाव से करते हैं कि सृजन और विध्वंस के बीच भी शिवत्व का भाव बनाए रखा जा सके। शिव के बारे में जग जाहिर बात है कि जब शिव का तीसरा नेत्र खुलता है तो धरती पर प्रलय मच जाता है। फिर-फिर धरती का पुनरुद्धार होने लगता है। शिव व्यक्ति के लिए महाकाल-रूप हुआ करता है। सच तो यह है कि समय स्वयं मनुष्य की मृत्यु और निर्वाण का द्वार खोलता है।
समय केवल बादल की रचना ही नहीं करता, अपितु वह ज्वालामुखी और भूकंप का भी कारण बनता है। समय तो सबके पीछे रहने वाली आत्मा है। किसी मंदिर में ब्रह्मा, विष्णु की मूर्ति होती होगी, किसी में महादेव की। मैं आप लोगों को ऐसे मंदिर से मुखातिब करवा रहा हूँ जो मंदिर आपके साथ है और जिसकी आभा आपकी परछाँई के रूप में है। क्या आप जानते हैं कि जो आपके कानों से सुन रहा है वह कौन है? जो आपकी आँखों से देख रहा है उसका परिचय क्या है ? आपकी जिह्वा के द्वारा जो आपके हृदय और उदर तक पहुँच रहा है, उसकी पहचान क्या है ? मैं कहूँगा वह समय है। वह समय ही है जिसके अनुग्रह से हम लोग आँखों के द्वारा देख रहे हैं। अगर समय हमसे रूठ जाएगा तो आँखों की पुतलियाँ वहीं विद्यमान रहेंगी, पर आँखों के पास देखने की रोशनी न बच पाएगी। कान के पुर्जे तो वही रहेंगे मगर सुनने वाला भीतर न बच पायेगा। ये कलपुर्जे किसी मशीनरी के बेकार हो चुके कुलपुों की तरह पड़े रहेंगे।
एक समय में तीन-तीन देव समाए हुए हैं। ब्रह्मा भी हैं, विष्णु भी हैं और महादेव भी हैं। जो व्यक्ति समय के मूल्य को समझ लेता है, उसने तीन-तीन देवों की इबादत अनायास ही कर ली है। तुम समय के साथ चलकर देखो तो सही, समय के तीनों देवता तुम्हारे साथ-साथ चलेंगे। समय ने अब तक न जाने
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org