SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 14 सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए सोच को सकारात्मक बनाने के लिए दो-तीन सहायक पहलुओं पर अवश्य ध्यान दीजिए। उन्हें अपने व्यावहारिक जीवन में लागू करने की दृढ़ मानसिकता बनाइए। अपनी सोच और विचारों को व्यवस्थित करना खुद ही अपने आप में एक साधना है। हमारी थोड़ी-सी सजगता हमें इस साधना में सफलता दे सकती है। सकारात्मक सोच के लिए मेरा पहला अनुरोध है कि हम क्रोध की बजाए शांति को मूल्य दें। क्रोध हमारी समझदारी को बाहर निकालकर दिमाग के दरवाजे को चटकनी लगा देता है। क्रोध करना दूसरे के अपराधों का बदला स्वयं से लेना है। अच्छा होगा हम स्वयं तो क्रोध न ही करें, पर अगर कोई दूसरा हम पर क्रोध कर बैठे तो हम अपनी ओर से यह भरसक चेष्टा करें कि हम शान्त रहें। शांति से बढ़कर कोई सुख नहीं होता। शांति सुख का सृजन करती है। क्रोध अशांति को जन्म देता है और अशांति दु:ख को। सुभाष बाबू अपना भाषण दे रहे थे। किसी श्रोता को उनका भाषण न भाया। उसने तैश में आकर सुभाष बाबू की छाती पर एक जूता फेंका। स्वाभाविक है कि ऐसे क्षणों में व्यक्ति को गुस्सा आ जाए, पर जरा कल्पना कीजिए कि उस समय सुभाष बाबू गुस्सा कर बैठते तो रंग में भंग पड़ जाता। सुभाष बाबू गुस्सा करने की बजाय उस व्यक्ति को संबोधित करते हुए कहने लगे, 'भैया, जूता एक ही फेंका। हो सके तो दूसरा भी फेंक दो। अकेला जूता न मेरे काम आएगा, न तेरे। यदि तुम दूसरा जूता दोगे तो मेरे भी काम आ जाएगा और यदि नहीं फेंक सको तो अपना जूता ले जाओ ताकि तुम्हारे काम आ सके।' इसे मैं कहता हूँ शांति, क्रोध पर विजय, सकारात्मक सोच। क्रोध को जीतना कठिन होता है। बात-बे-बात में गुस्सा आ ही जाता है पर यदि हम हर हाल में शांति को मूल्य देंगे तो हम क्रोध में अपनी शक्ति को नष्ट होने से बचा लेंगे और अपनी मानसिकता को भी स्वस्थ रखने में सफल हो सकेंगे। सकारात्मक सोच के लिए जो दूसरा सहायक बिन्दु है, वह यह है कि हम औरों के प्रति सम्मान और सहानुभूति का नजरिया अपनाएँ। हम ईर्ष्या में न Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003875
Book TitleSakaratmak Sochie Safalta Paie
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy