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सकारात्मक सोचिए : सफलता पाइए
मस्तिष्क तो बगीचे की तरह है। जैसा बोओगे, वैसा पाओगे। खरपतवारघास-फूस को काँट-छाँटकर निकाल दो। सावधान रहें, कचरा तो सभी डालते हैं पर आपका मस्तिष्क कचरा-पेटी नहीं है कि उसमें जिस-तिस के विचार भरते रहें। बहुत सोच-समझकर किसी के विचार ग्रहण करो। जैसे पानी छानकर पीते हो ऐसे ही विचारों को सजग होकर ग्रहण करो। अगर गलत चीज आरोपित हो गई तो बहुत कड़वे फल प्राप्त होंगे। ऐसे लोगों से बचकर रहें जिनकी संगत
आपको दुष्प्रभावित करती हो। प्रकृति के सान्निध्य में रहें, प्रकृति से जुड़कर रहें, अच्छे लोगों से जुड़कर रहें। जब भी सोचें सकारात्मक सोचें और नकारात्मक सोच से बचें।
आइये, देखें सकारात्मक सोच क्या है ? एक दफा मैं किसी सरोवर के किनारे बैठा था। उस सरोवर की लहरों को देख रहा था कि अचानक बारिश होने लगी। मैंने देखा कि कमल की पंखुरियों पर पानी गिर रहा है लेकिन जैसे ही पंखुरियों पर पानी गिरता है पंखुरियाँ विनम्रता से, कोमलता से स्वयं को झुका लेती हैं जिसके कारण पानी उन पर टिक नहीं पाता और उसी सरोवर में गिर जाता है। मैंने जाना कि इसे कहते हैं जीवन की सकारात्मकता। जिस परिवार में, जिस घर में, जिस माहौल में वह रहता है वहाँ से कमल की पंखुरियों की तरह ऊपर रहना चाहिए। अगर अन्य लोगों के द्वारा अनुकूल या प्रतिकूल वातावरण उपस्थित भी कर दिया जाय तब भी स्वयं को लचीला बना लिया जाय। इसे ही सकारात्मकता कहते हैं। जहाँ अपने चित्त पर किसी बात को हावी न होने देना और न ही अपनी ओर से किसी तरह की उग्र प्रतिक्रियाएँ करना वरन् अपनी ओर से जो सद्व्यवहार करना है उसमें कमी न आने देना। यही है सकारात्मक रवैया, सकारात्मक सोच। ____ भले ही दुनिया में तीन सौ साठ धर्म हों, लेकिन सत्य तो एक ही है। सत्य को एक मानना और अनेकानेक धर्मों को सत्य का प्रतिबिम्ब माननाजानना ही सकारात्मक सोच है। जब, 'यह मेरा पंथ', 'वह तेरा पंथ' शुरू होता है वहीं नकारात्मक सोच भी शुरू हो जाती है। जब व्यक्ति यह सोचता है कि दुनिया का हर पंथ अच्छा है, दुनिया के हर धर्म और मजहब में अच्छाइयाँ
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